KNEWS DESK- इंडिगो की उड़ानों में लगातार कैंसिलेशन और भारी देरी के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने स्पष्ट किया कि फिलहाल सरकार सक्रिय रूप से स्थिति का समाधान ढूंढ रही है, ऐसे में कोर्ट दखल देने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि “अगर हालात जस के तस होते तो अलग बात थी। हम समझते हैं कि लाखों लोग परेशान हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे को देख रही है। उन्हें ही इसे संभालने दें।”
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पिछले 7 दिनों में इंडिगो की ज्यादातर उड़ानें रद्द या विलंबित हो रही हैं। अब तक लगभग 2500 उड़ानें प्रभावित हुई हैं और 95 हवाई अड्डे इससे प्रभावित बताए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने सार्वजनिक हित याचिका दाखिल कर कोर्ट से मामले पर सुओ मोटू संज्ञान लेने व तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी।
याचिका में दावा किया गया कि उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने से यात्रियों को गंभीर मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसमें प्रभावित यात्रियों के लिए वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था, मुआवजा और इस संकट की त्वरित जांच की मांग की गई।
उड़ानें रद्द होने के पीछे मुख्य कारण के रूप में पायलटों के लिए बनाए गए नए Flight Duty Time Limit (FDTL) नियमों को बताया गया है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि नई योजना लागू करने में खामियां हैं, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर संचालन प्रभावित हुआ है।
याचिका में यह भी कहा गया कि इस तरह से उड़ानें रद्द होना यात्रियों के अनुच्छेद 21—जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील 6 दिसंबर को सीधे CJI सूर्यकांत के आवास पहुंचे और उनसे तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की गई, हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इस समय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और सरकार को पहले स्थिति को संभालने देना चाहिए।