“राष्ट्रीय पुरुष आयोग” की माँग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, जानें क्या है वजह

KNEWS DESK: राष्ट्रीय पुरुष आयोग की माँग करने वाली याचिका पर  सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में घरेलू हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों के आत्महत्या  से निपटने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही विवाहित पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग स्थापित करने का अनुरोध किया गया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया।

 

 

 क्या फैसला लिया है सुप्रीम कोर्ट ने

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया।पीठ ने कहा है कि आप केवल एक तरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं। क्या आप हमें शादी के तुरंत बाद जान गंवाने वाली युवतियों का आंकड़ा दे सकते हैं?…कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह अलग-अलग मामलों के तथ्यों पर निर्भर करता है। बेंच वकील महेश कुमार तिवारी की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें भारत में दुर्घटनावश मौत पर 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि उस साल देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। उनमें से 81,063 विवाहित पुरुष थे जबकि 28,680 विवाहित महिलाएं थीं।

 

क्यों की गई पुरुष आयोग का माँग

याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2021 में करीब 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण जान दी। 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने विवाह संबंधित मुद्दों के कारण आत्महत्या की। इस साल कुल 1,18,979 पुरुषों ने खुदकुशी की जो करीब 72 प्रतिशत है और कुल 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की जो करीब 27 प्रतिशत है। याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतें स्वीकार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

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