नोएडा पुलिस पर महिला वकील के गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और पुलिस को जारी किया नोटिस

डिजिटल डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा पुलिस को कड़ा नोटिस जारी करते हुए एक बेहद गंभीर मामले पर सुनवाई के लिए सहमति दी है। एक महिला वकील द्वारा दायर रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि नोएडा के एक पुलिस थाने में उन्हें करीब 14 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जहां उनके साथ यौन उत्पीड़न, शारीरिक यातना और जबरदस्ती की गई। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को तय की है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारी की पीठ ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(जी), 21 और 22 के तहत अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। इसी आधार पर यूपी सरकार और पुलिस प्रशासन से जवाब मांगा गया है।

क्या है पूरा मामला

याचिका के अनुसार, महिला वकील 3 दिसंबर 2025 की देर रात नोएडा सेक्टर-126 पुलिस स्टेशन पहुंची थीं। वह अपने एक मुवक्किल की सहायता के लिए गई थीं, जिसे सिर में गंभीर चोटें आई थीं और जो एफआईआर दर्ज कराना चाहता था। महिला वकील का आरोप है कि वह पूरी तरह पेशेवर वेशभूषा में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही थीं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें रात भर थाने में अवैध रूप से रोके रखा। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी, साथ ही हिरासत में यौन उत्पीड़न और दबाव बनाए जाने जैसे गंभीर कृत्य किए गए। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ एक महिला के सम्मान का अपमान है, बल्कि न्याय व्यवस्था में काम कर रहे एक अधिवक्ता की गरिमा पर भी सीधा हमला है।

याचिकाकर्ता की दलील

एडवोकेट अनिलेंद्र पांडे के माध्यम से दायर याचिका में बताया गया है कि पीड़िता दिल्ली के शाहदरा बार एसोसिएशन में पंजीकृत प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने कानून का पालन करने के बजाय शक्ति का दुरुपयोग किया और उन्हें बिना किसी वैध आधार के हिरासत में रखा गया। यचिका में यह भी कहा गया है कि जिस समय यह कथित घटना हुई, उस दौरान पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे बंद थे, जिससे संदेह और गहराता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर ऐसे मामलों में याचिकाकर्ता को वैकल्पिक कानूनी उपाय अपनाने के लिए कहा जाता है, लेकिन इस प्रकरण में आरोपों की गंभीरता और सीसीटीवी कैमरों के बंद होने जैसे तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी वजह से अदालत ने याचिका को स्वीकार किया है। कोर्ट ने नोएडा पुलिस को निर्देश दिया है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के सभी सीसीटीवी फुटेज को सीलबंद कर सुरक्षित रखा जाए और 7 जनवरी को अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

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