KNEWS DESK- दिल्ली-एनसीआर में दीवाली और अन्य त्योहारों के दौरान ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अहम सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र और एनसीआर के राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि लोगों को दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे फोड़ने की सशर्त अनुमति दी जाए।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट से अपील की कि वह इस संवेदनशील मामले में “संतुलित दृष्टिकोण” अपनाए। उन्होंने कहा कि नागरिकों को त्योहार मनाने का अधिकार है, लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह दूसरों के स्वच्छ हवा के अधिकार के साथ टकराव में न आए।
SG मेहता ने सुझाव दिया कि दीवाली पर ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति सिर्फ दो घंटे (रात 8 से 10 बजे तक) के लिए हो। पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं के माध्यम से होनी चाहिए। ई-कॉमर्स वेबसाइट्स (जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट) पर पटाखों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित हो।
SG मेहता ने कोर्ट को यह भी सुझाव दिया कि अन्य प्रमुख त्योहारों जैसे क्रिसमस, नए साल और गुरु पर्व पर भी ग्रीन पटाखों के लिए सीमित समय तय किया जाए क्रिसमस और न्यू ईयर ईव: रात 11:55 से 12:30 बजे तक, गुरुपर्व: सुबह 4 से 5 बजे और रात 9 से 10 बजे तक, विवाह जैसे निजी आयोजनों में भी ग्रीन पटाखों के सीमित इस्तेमाल की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते सभी नियमों का पालन हो।
एनसीआर के अंतर्गत आने वाले राज्यों (जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान) ने भी कोर्ट से अनुरोध किया कि दीवाली पर ग्रीन पटाखों की अनुमति दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल NEERI (नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा अनुमोदित ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की इजाजत हो। राज्य सरकारों ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले निर्माण स्थलों को तत्काल सील किया जाएगा।
सुनवाई में एक याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वायु प्रदूषण सिर्फ पटाखों से नहीं होता, बल्कि पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक उत्सर्जन भी उतने ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि ग्रीन पटाखों के निर्माण और परीक्षण में भारी निवेश हुआ है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि कई लोग दीवाली की पूजा सुबह करते हैं और उसी समय पटाखे भी जलाते हैं। इस पर SG मेहता ने जवाब दिया कि लोगों को अपने पर्व मनाने का अधिकार है, लेकिन इसका संतुलन शुद्ध हवा के अधिकार से भी होना चाहिए