KNEWS DESK- जिस घड़ी का सभी को लंबे समय से इंतजार था वो समय अब धीरे- धीरे आ रहा है| चंद्रयान-3 आज की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर उतकर इतिहास रचने वाला है| इसरो ने अपने पिछले दोनों मून मिशन से बहुत कुछ सीख लेकर ही चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए हैं| यही कारण है कि यह अत्यधिक पावरफुल है| इसमें कई खासियतें हैं, जिससे सफलता तो तय है|
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ का कहना है कि चंद्रयान-3 के लैंडर को डिजाइन करते समय यह ध्यान रखा गया किन हालातों में यह फेल हो सकता है उसे कैसे रोका जा सकता है| इसे आने वाली परेशानियों को झेलकर उनसे छुटकारा पाकर सफलता हासिल करने के योग्य बनाया गया है| चंद्रयान-3 के मिशन में 3 साल 9 महीने 14 दिन लगे हैं|
चंद्रयान-3 की पॉवर को इन 5 पॉइंट्स में समझें
बुरी स्तिथि में बचाव करना-चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड में इजाफा किया गया है| इसके सॉफ्टवेयर को बदला गया है| इसकी ईधन की क्षमता में वृद्धि की गई है| यह ऐसी जगह ढूंढ सकता है, किस हिस्से में इसे उतरना है| यही नहीं, लैंडर के पास ऐसा थ्रस्टर सिस्टम, नेविगेशन एंड गाइडेंस कंट्रोल और खतरा परखकर निकलने वाला हेजार्ड डिटेक्शन सिस्टम है जो इसकी सफलता को बढ़ाएगा|
3 सेंसर की पॉवर-इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा, चंद्रयान -2 की असफलता की वजह थी इसके सॉफ्टवेयर में हुई खामी| इसे अब सुधारा गया है| चंद्रयान-3 की सबसे खास बात है, इसमें लगे 3 सेंसर जब कोई ऐसी जगह होती है जिसे रिमोट से ही ऑपरेट किया जा सकता है| ऐसे में ये सेंसर काम काम करते हैं| वो जगह ढूंढ लेते हैं| वेलोसीमीटर और अल्टीमीटर लैंडर की स्पीड और ऊंचाई के बारे में बताएंगे|