KNEWS DESK- सावन का पावन महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस वर्ष सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। यूं तो प्रत्येक सोमवार शिवभक्तों के लिए विशेष होता है, लेकिन जब यह दिन सावन में आता है, तब इसका धार्मिक महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
हिंदू धर्म में सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए तथा विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। शिव पुराण में वर्णन है कि इस व्रत को श्रद्धा एवं भक्ति से करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस दिन भक्तगण सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन और सफेद फूल चढ़ाकर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा के समय सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ किया जाता है, जिसे बिना पढ़े व्रत अधूरा माना जाता है।
प्राचीन काल की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण दंपति भगवान शिव के परम भक्त थे। वर्षों तक वे संतान प्राप्ति की कामना से शिवजी की पूजा करते रहे, लेकिन उन्हें संतान सुख नहीं मिला। हार कर उन्होंने शिव मंदिर में जाकर दिन-रात पूजा शुरू कर दी।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा – “तुम श्रावण मास में हर सोमवार व्रत रखो और मेरी विधिपूर्वक पूजा करो। तुम्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होगा।”
ब्राह्मण दंपति ने शिवजी की आज्ञा अनुसार पूरे सावन में सोमवार व्रत रखा, शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा चढ़ाया और सच्चे मन से भक्ति की। मास पूर्ण होते-होते उन्हें शिवजी का आशीर्वाद मिला और कुछ समय बाद उनके घर एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार का व्रत करने से शिवजी की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत में संयम, नियम और श्रद्धा का पालन अत्यंत आवश्यक होता है।
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