KNEWS DESK- कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जारी सियासी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार को लेकर बनने वाले सियासी समीकरणों ने पार्टी के भीतर खासा तनाव पैदा कर दिया है। लंबे समय से यह चर्चा चल रही है कि कांग्रेस सरकार के आधे कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री पद का परिवर्तन हो सकता है, और रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि डी.के. शिवकुमार जल्द ही सत्ता की कमान संभाल सकते हैं।
हालांकि इस तरह की अटकलों का दोनों ही नेता कई बार खंडन कर चुके हैं, लेकिन ताजा बयानों ने एक बार फिर सियासी तापमान बढ़ा दिया है। रामनगर से कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन ने दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात के बाद दावा किया कि उन्हें “200 प्रतिशत यकीन” है कि डी.के. शिवकुमार जल्द ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को करना है, लेकिन सत्ता का ट्रांसफर पार्टी के चुनिंदा शीर्ष नेताओं के बीच तय समझौते के तहत होगा।
कर्नाटक कांग्रेस के कई विधायकों ने हाल ही में दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद विधायकों ने यह कहा कि वे हाईकमान के हर निर्णय का सम्मान करेंगे। कुछ विधायकों ने साफ संकेत दिया कि वे चाहते हैं कि जल्द ही प्रदेश की कमान डी.के. शिवकुमार को सौंपी जाए।
मद्दूर के विधायक के.एम. उदय ने बताया कि उन्होंने और अन्य विधायकों ने आलाकमान से कैबिनेट विस्तार या फेरबदल के दौरान युवाओं और नए चेहरों को जगह देने का अनुरोध किया है। उन्होंने संकेत दिया कि इस दिशा में सकारात्मक विचार किया जा सकता है। वहीं कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री पद से जुड़ी अनिश्चितता को जल्द दूर करने की मांग रखी।
20 नवंबर को कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लिया। इसी के बाद से सत्ता परिवर्तन को लेकर चर्चाओं में फिर तेजी आ गई है। बताया जाता है कि 2023 में सरकार बनने के समय सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच आधे-आधे कार्यकाल के साझा शासन को लेकर एक अनौपचारिक सहमति बनी थी।
अब जब आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है, कई विधायक इस संभावित समझौते की याद दिलाते हुए नेतृत्व परिवर्तन पर जोर दे रहे हैं। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी तक औपचारिक रूप से कोई संकेत नहीं आया है।
कर्नाटक कांग्रेस में चल रही यह हलचल पार्टी के भीतर पावर बैलेंस को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर रही है। जहां डी.के. शिवकुमार के समर्थक सत्ता परिवर्तन की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं सिद्धारमैया गुट स्थिरता और विकास कार्यों पर जोर देने की बात कर रहा है।