पंचकूला में दिल दहलाने वाली घटना, परिवार के 7 लोगों ने कार में खाया जहर…

KNEWS DESK- हरियाणा के पंचकूला से एक ऐसी खबर सामने आई जिसने केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सेक्टर-27 के मकान नंबर 1204 के सामने खड़ी एक कार में एक ही परिवार के सात लोगों के शव बरामद हुए। मृतकों में देशराज मित्तल, उनके बेटे प्रवीण मित्तल, प्रवीण की पत्नी रीना, उनके तीन बच्चे—दो बेटियां हिमशिखा और दलिशा (11 वर्ष) और एक बेटा हार्दिक (14 वर्ष)—तथा प्रवीण की मां विमला शामिल थे। यह परिवार मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला था, जो हाल के वर्षों में पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में किराए के मकान में रह रहा था। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें प्रवीण मित्तल ने कर्ज और आर्थिक तंगी को इस दुखद कदम का कारण बताया।

सोमवार रात करीब 10:30 बजे, सेक्टर-27 में एक खाली प्लॉट के पास खड़ी हुंडई ऑरा कार में कुछ असामान्य गतिविधियां देख स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार में सात लोगों को बेहोशी की हालत में पाया। सभी को तुरंत सेक्टर-26 के ओजस अस्पताल ले जाया गया, जहां छह लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। सातवां व्यक्ति, प्रवीण मित्तल, जो उस समय जीवित था, को सेक्टर-6 के सिविल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उनकी भी मृत्यु हो गई। प्रत्यक्षदर्शी पुनीत राना के अनुसार, प्रवीण ने मरने से पहले बताया, “हमने जहर खा लिया है। हम बहुत कर्ज में डूबे हुए हैं, और मेरे रिश्तेदारों ने मेरी कोई मदद नहीं की।” पुलिस ने कार से दो पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें प्रवीण ने लिखा, “मैं बैंक से दिवालिया हो चुका हूं। मेरी वजह से ये सब हुआ है। मेरे ससुर को कुछ मत कहना। अंतिम संस्कार मेरे मामा का बेटा करेगा।” यह नोट इस बात की ओर इशारा करता है कि परिवार भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रवीण मित्तल ने कुछ वर्ष पहले देहरादून में टूर एंड ट्रैवल का कारोबार शुरू किया था। बड़े सपनों के साथ शुरू किए गए इस व्यवसाय में उन्होंने भारी निवेश किया, लेकिन कारोबार सफल नहीं हुआ। इसके चलते परिवार कर्ज के बोझ तले दब गया। प्रवीण के ससुर राकेश गुप्ता ने बताया कि प्रवीण ने लगभग 10 साल पहले एक करोड़ रुपये का लोन लिया था, और कुछ परिचितों से भी उधार लिया, जिसे वे कभी चुका नहीं पाए। रिश्तेदार संदीप अग्रवाल के अनुसार, परिवार पर 15-20 करोड़ रुपये का कर्ज था, और उन्हें धमकियां भी मिल रही थीं। इस आर्थिक तंगी ने परिवार को इस हद तक तोड़ दिया कि उन्होंने सामूहिक आत्महत्या का रास्ता चुना।
जानकारी के मुताबिक, प्रवीण मित्तल और उनका परिवार पंचकूला में आयोजित बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री की हनुमंत कथा में शामिल होने आया था। यह कार्यक्रम सेक्टर-28 में आयोजित था। कथा समाप्त होने के बाद, देहरादून लौटते समय परिवार ने सेक्टर-27 में कार रोककर जहर खा लिया। यह घटना दिल्ली के बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या कांड की याद दिलाती है, जहां 2018 में एक परिवार के 11 सदस्यों ने आत्महत्या कर ली थी।
पंचकूला पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। डीसीपी हिमाद्री कौशिक ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, लेकिन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। फोरेंसिक और सीन ऑफ क्राइम टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं, और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि जहर कहां से प्राप्त किया गया और क्या यह कदम पूर्व नियोजित था। इस घटना ने सामाजिक और आर्थिक तनाव से जुड़े कई सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि जब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, तब भी इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं? आर्थिक प्रगति के बावजूद, कर्ज और मानसिक तनाव से जूझ रहे परिवारों के लिए समर्थन प्रणाली की कमी एक गंभीर मुद्दा है।