KNEWS DESK- शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ के ताज़ा संपादकीय में पार्टी ने संघ के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की परिभाषा पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कहा है कि RSS के डीएनए में कैसा राष्ट्रवाद है, इस पर शोध होना चाहिए।
सामना में लिखा गया है कि देश की आज़ादी की लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहीं भी दिखाई नहीं देता। संघ को भारत के स्वतंत्रता संग्राम की “ज़रा सी भी खरोंच नहीं लगी”। इसके बावजूद संघ आज राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता पर भाषण देता है, जो आश्चर्यजनक है।
शिवसेना ने यह भी आरोप लगाया कि संघ ने आज़ादी के बाद के राष्ट्रनिर्माण में भी कोई सार्थक भूमिका नहीं निभाई और फिर भी आज वह खुद को राष्ट्रवाद का ठेकेदार बताने की कोशिश कर रहा है।
संपादकीय में साफ कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शासन संघ के पुराने सपने को साकार करने का जरिया है। संघ की विचारधारा देश में सहिष्णुता को खत्म कर कट्टर हिंदुत्व को बढ़ावा देना चाहती है।इसमें लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और संसद जैसी संस्थाओं की कोई जगह नहीं है।
सामना ने संघ की मंशा को “हिंदू मोहम्मद अली जिन्ना” के शासन की तरह बताते हुए लिखा कि उनका लक्ष्य भारत को हिंदू पाकिस्तान बनाना है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण की भी आलोचना करते हुए सामना ने लिखा यह भाषण न तो कोई नया मार्गदर्शन था, न ही कोई विचारशील दिशा दिखाने वाला। भागवत ने बीजेपी की लाइन को दोहराया और संघ की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर भी कोई नया संदेश देने में विफल रहे। शिवसेना ने आरोप लगाया कि भागवत, मोदी-शाह की तानाशाही के खिलाफ एक शब्द बोलने से बचते हैं।
संपादकीय में श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के राजनीतिक हालात का जिक्र करते हुए कहा गया है वहां की सरकारों ने लोगों को कट्टर राष्ट्रवाद का नशा दिया और लोकतंत्र को कुचला लेकिन जब जनता जागी तो सत्ता का तख्तापलट हुआ।संघ को इन उदाहरणों से सीखना चाहिए, क्योंकि भारत में भी जनता का गुस्सा बढ़ रहा है।
शिवसेना का दावा है कि मोहन भागवत को यह डर सता रहा है कि भारत में भी ऐसा ही जनाक्रोश उभर सकता है।