महाराष्ट्र : संभाजीनगर में आयोजित समरसता सभा में शरद पवार ने अपनी राय दी है| उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन पर बात कही है| शरद पवार ने कहा कि देश में नई संसद बनाने का फैसला भी मुझ जैसे लोगों ने अखबार में पढ़ा| हममें से कोई भी उस निर्णय को नहीं जानता था| हम बाद में संसद के रास्ते में नई इमारत देख रहे थे| हमने मांग की, कि विपक्षी दल देश के माननीय राष्ट्रपति को इसके उद्घाटन के लिए आमंत्रित करें| इसका विरोध करने का कोई कारण नहीं था लेकिन राष्ट्रपति को आमंत्रित करने का विचार स्वीकार नहीं किया गया| इसलिए हम विरोधियों ने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है|
शरद पवार ने एक तस्वीर का जिक्र करते हुए कहा कि यह तस्वीर तब जारी की गई जब देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और अपनी पहली संसदीय बैठक आयोजित की, जिसमें मुख्य रूप से उन सभी राष्ट्रीय नेताओं को शामिल किया गया था| इसी तरह एक और तस्वीर जारी की गई है जिसमें नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री और तमाम भगवाधारी साधु-संत नजर आ रहे हैं| सदन में प्रवेश करने का पहला अवसर निर्वाचित सदस्यों को नहीं बल्कि अन्य सभी को दिया गया था लेकिन इस पर किसी ने आपत्ति नहीं की|
शरद पवार ने आगे कहा कि, मैं राज्यसभा में हूं| मैंने कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति को देखा भी नहीं था| जब उनसे पूछा गया कि उन्हें क्यों नहीं बुलाया गया तो कोई जवाब देने को तैयार नहीं है| कुछ निजी चर्चाओं से पता चला कि प्रोटोकाल के अनुसार यदि उप राष्ट्रपति को आमंत्रित किया जाता तो उप राष्ट्रपति, तत्कालीन प्रधानमंत्री आदि को सदन में प्रवेश करने का अवसर मिल जाता| उपराष्ट्रपति को इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि वे ऐसा नहीं करना चाहते थे| देश में ऐसा कभी नहीं हुआ|