KNEWS DESK- संसद में एक बार फिर से राजनीतिक गतिरोध देखने को मिला, जब भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों के बीच संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर से जुड़े बयान को लेकर तीखी नोक-झोंक हुई। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों ने संसद के मकर द्वार पर प्रदर्शन किया, जिससे संसद परिसर में भारी हंगामा मच गया। भाजपा और विपक्षी गठबंधन इंडिया ने कार्यवाही शुरू होने से पहले मार्च निकाला, जिसमें दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।
कांग्रेस की मांग: शाह से इस्तीफा लिया जाए
कांग्रेस सांसदों ने डॉ. आंबेडकर के योगदान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और उनकी तुरंत इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस नेताओं ने मकर द्वार पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया, और कहा कि शाह का बयान आंबेडकर के प्रति असम्मानपूर्ण था। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि शाह का बयान भारतीय समाज के संघर्षों और आंबेडकर के योगदान को नकारने की कोशिश है, और ऐसे बयान देने के लिए गृह मंत्री को जिम्मेदार ठहराया।
भा.ज.पा. का पलटवार: कांग्रेस से माफी की मांग
वहीं, भाजपा सांसदों ने भी अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखा। भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी दल जानबूझकर शाह के बयान को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं और डॉ. आंबेडकर का अपमान कर रहे हैं। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस से मांग की कि वह आंबेडकर के प्रति अपनी गलत टिप्पणी के लिए माफी मांगे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपने दुष्प्रचार को रोककर अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
धक्का-मुक्की और तीव्र हंगामा
प्रदर्शन के दौरान मकर द्वार पर भाजपा और कांग्रेस के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। दोनों पक्षों के नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए और विरोध प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी की। संसद परिसर में इस राजनीतिक टकराव ने माहौल को और गरमा दिया, और कार्यवाही शुरू होने से पहले ही संसद में भारी शोर-शराबा हो गया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को शर्मनाक राजनीति करने का आरोप लगाया और अपनी बातों को सही ठहराने की कोशिश की।
संसदीय कार्यवाही पर प्रभाव
संसद में इस हंगामे के कारण कार्यवाही में गंभीर विघ्न आया। दोनों सदनों की कार्यवाही पहले कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई और बाद में सांसदों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा की योजना बनाई गई। संसद के इस मौजूदा विवाद ने आगामी सत्रों में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर गहरी बहस की उम्मीद जताई है।
आंबेडकर के मुद्दे पर राजनीति का नया मोड़
यह विवाद अब केवल संसद तक सीमित नहीं रहा। डॉ. भीमराव आंबेडकर, जिनका नाम भारतीय राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण है, उनके योगदान पर कोई भी विवाद राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील बन सकता है। आंबेडकर के विचार और उनके संघर्षों का भारतीय समाज पर गहरा असर पड़ा है, और उनके प्रति किसी भी प्रकार की निंदा देशभर में व्यापक प्रतिक्रिया का कारण बनती है।
आगे का रास्ता
अब यह देखना होगा कि इस विवाद में किस पक्ष को जनसमर्थन मिलता है और क्या यह मुद्दा संसद के आगामी सत्रों में और तूल पकड़ता है। दोनों पक्षों के बीच इस तकरार के बाद राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और यह मुद्दा आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर के योगदान को लेकर नए विवादों का संकेत देता है, और यह दर्शाता है कि उनके नाम पर राजनीतिक दलों के बीच विवाद तेज हो सकते हैं।
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