काम के बाद छुट्टी का अधिकार… क्या है संसद में पेश हुआ राइट टू डिस्कनेक्ट बिल?

KNEWS DESK- बीते शुक्रवार को संसद में निजी सदस्यों (Private Members) द्वारा कई महत्वपूर्ण बिल पेश किए गए, जिनका सीधा प्रभाव कर्मचारियों, महिलाओं, पत्रकारों और मेडिकल प्रवेश प्रणाली से जुड़े मुद्दों पर पड़ सकता है। इन बिलों को भले ही निजी प्रस्तावों के रूप में पेश किया गया हो, लेकिन इनमें उठाए गए विषय देशभर की बहस का हिस्सा बने हुए हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 पेश किया। बिल में प्रस्तावित है कि एक एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी बनाई जाए। कर्मचारियों को ऑफिस समय के बाद कॉल और ई-मेल से जवाब देने की बाध्यता से मुक्त किया जाए। छुट्टियों के दौरान भी कर्मचारियों को कार्य-संबंधी संचार से ‘डिस्कनेक्ट’ होने का वैधानिक अधिकार मिले।

इस बिल का उद्देश्य उन नौकरीपेशा लोगों को राहत देना है जिन्हें कार्यालय समय के बाहर भी लगातार ई-मेल, संदेश और कॉल के कारण निजी जीवन में बाधा का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं के स्वास्थ्य और कार्यस्थल सुविधाओं पर भी संसद में दो महत्वपूर्ण बिल पेश किए गए।

1. मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024

कांग्रेस सांसद कडियाम काव्या द्वारा प्रस्तुत इस बिल में महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान आवश्यक सुविधाएँ, सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

2. पेड मेन्स्ट्रुअल लीव बिल

LJP की सांसद शंभवी चौधरी ने कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए पेड मेन्स्ट्रुअल लीव और मासिक धर्म अवधि में अतिरिक्त लाभों को वैधानिक अधिकार बनाने के लिए एक अलग बिल पेश किया।

कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल अंडर ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए NEET परीक्षा से छूट देने का बिल पेश किया। यह मुद्दा लंबे समय से तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद का विषय रहा है। राज्य सरकार इस मामले पर पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है।

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