KNEWS DESK- सहारा समूह की बचत योजनाओं में फंसे लाखों निवेशकों के लिए राहत की खबर आई है। केंद्र सरकार ने रिफंड की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी है। इससे अगले 10 दिनों में करीब 1000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। सहकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कदम निवेशकों को उनकी जमा राशि जल्दी वापस लौटाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
रिफंड प्रक्रिया
सरकार ने CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से अब तक 4.29 लाख जमाकर्ताओं को 370 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। रिफंड जारी करने से पहले जमाकर्ताओं के दावों की सावधानी से जांच की जा रही है। यह पोर्टल जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू किया गया था, ताकि सहारा जमाकर्ताओं को उनकी राशि वापस मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह पर कड़ी नजर रखी है। हाल ही में, अदालत ने समूह को निर्देश दिया था कि वह अपनी संपत्तियों को बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सहारा समूह को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए प्रॉपर्टी बेचने से कोई नहीं रोक सकता। इसके अलावा, अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की कंपनियों—एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल—को आदेश दिया था कि वे निवेशकों की जमा राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को लौटाएं।
सहारा समूह की आर्थिक स्थिति
सहारा समूह ने अपनी छोटी बचत योजनाओं के माध्यम से जमाकर्ताओं से करोड़ों रुपये जुटाए, लेकिन समूह की आर्थिक हालत बिगड़ने के कारण पिछले 12 सालों से निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है। अब जबकि रिफंड की प्रक्रिया में तेजी आ रही है, उम्मीद है कि निवेशक जल्द ही अपनी जमा राशि प्राप्त कर सकेंगे। इस निर्णय से सहारा समूह के लाखों निवेशकों को राहत मिलेगी, और उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है। सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि वह निवेशकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है।
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