गुजरात में राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, नेहरू–पटेल की भूमिका पर उठाए सवाल, बाबरी मस्जिद से सोमनाथ तक दिया उदाहरण

KNEWS DESK- गुजरात के बड़ौदा जिले के सडली गांव में आयोजित एकता मार्च के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की राजनीति, इतिहास और विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू व सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका को लेकर कई बड़े बयान दिए। उन्होंने दावा किया कि स्वतंत्रता के बाद बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर नेहरू और पटेल की राय एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण जनता के पैसों से करने का सुझाव दिया था, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने इसे स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया। राजनाथ सिंह के अनुसार, “अगर पटेल न होते तो उस समय सार्वजनिक धन से बाबरी मस्जिद दोबारा बन जाती।”

उन्होंने बताया कि इसके बाद नेहरू ने सोमनाथ मंदिर का मुद्दा उठाया, जिस पर पटेल ने यह कहते हुए अपना पक्ष रखा कि सोमनाथ के पुनर्निर्माण में जनता द्वारा दान किए गए 30 लाख रुपये और ट्रस्ट का गठन शामिल था, तथा सरकार का एक भी पैसा इसमें नहीं लगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरदार पटेल के निधन के बाद नेहरू ने जो धन जुटाया गया था, उसे कुएं और सड़कों जैसे कार्यों में लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने दावा किया कि कई मौकों पर पटेल की विरासत को दबाने की कोशिश की गई, बावजूद इसके पटेल देश को एकजुट करने वाली सबसे महत्वपूर्ण शक्तियों में रहे। उन्होंने यह भी कहा कि 1946 में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में नेहरू के पक्ष में अधिक वोट आए थे, लेकिन महात्मा गांधी के आग्रह पर पटेल ने अपना नाम वापस लिया। इसके चलते नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष बने और बाद में प्रधानमंत्री।

अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने सरदार पटेल के एक कथन का जिक्र किया कि “मैं नेता नहीं, मैं तो एक सैनिक हूं।” उन्होंने कहा कि पटेल ने अपने जीवन को सच्चे अर्थों में राष्ट्र को समर्पित किया और उनके निर्णयों ने भारत की अखंडता व एकता की नींव रखी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कश्मीर के विलय से जुड़े मुद्दों पर भी पटेल की बात मानी गई होती, तो भारत को दशकों तक कश्मीर में लगातार चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता।

राजनाथ सिंह ने सरदार पटेल की कूटनीति और प्रशासनिक क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि आजाद भारत को उस समय सबसे बड़ी चुनौती 562 रियासतों के एकीकरण की थी। उन्होंने कहा कि कई बड़े देशों को शक था कि भारत टूट सकता है, लेकिन पटेल की दूरदर्शिता और दृढ़ता की वजह से भारत एकजुट राष्ट्र बन पाया।