KNEWS DESK – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन 241 वाहिनी के परिसर में नीम का पौधा लगाया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक अद्वितीय पहल है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
पौधरोपण के दौरान प्रेरणादायक संदेश
पौधरोपण के बाद मुख्यमंत्री साय ने लोगों को प्रेरित करते हुए कहा,”एक पौधा लगाने से हम न केवल पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों को शुद्ध हवा और स्वस्थ वातावरण का उपहार भी देते हैं। इस पहल में सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति एक पौधा लगाए और उसकी नियमित देखभाल करे ताकि यह पहल अधिक प्रभावी हो सके।
अचानक दौरे के दौरान वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री साय बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक के उपरांत सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन के कैंप पहुंचे। यहां उन्होंने जवानों के साथ समय बिताया और वृक्षारोपण के इस अभियान में उनकी भागीदारी की सराहना की। कैंप परिसर में नीम का पौधा लगाते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल न केवल देश की सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान का उद्देश्य
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू किया गया है। इस पहल के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि वे अपने जीवन में कम से कम एक पौधा अपनी मां के नाम पर जरूर लगाएं और उसकी देखभाल करें। यह अभियान न केवल भावनात्मक बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
जवानों की भागीदारी की सराहना
सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन के जवानों की इस अभियान में भागीदारी की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका यह योगदान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। उन्होंने जवानों को उनकी कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन के लिए भी धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और मानवता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें और इसे एक जन आंदोलन का स्वरूप दें।