वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण में देरी पर रेल मंत्री का बयान आया सामने, खारिज किए गए मीडिया के दावे

KNEWS DESK-  वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण में देरी को लेकर हाल ही में मीडिया में कई तरह के दावे सामने आए थे, जिनमें यह बताया गया था कि डिजाइन मंजूरी के मुद्दे के कारण निर्माण प्रक्रिया में बाधा आ रही है। इस पर अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी चुप्पी तोड़ी और इन दावों को खारिज किया है। वैष्णव ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि डिजाइन को लेकर कोई समस्या नहीं थी, और इस देरी के पीछे की असली वजह कुछ और थी।

डिजाइन का मुद्दा कभी नहीं था – वैष्णव

रेल मंत्री ने कहा कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण में शामिल रूसी फर्म ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच) को डिजाइन के मामले में कभी कोई समस्या नहीं थी। मीडिया में आई रिपोर्टों में दावा किया गया था कि भारतीय रेलवे ने शौचालय और पेंट्री कार की मांग की थी, जिसके कारण डिजाइन में बदलाव की आवश्यकता थी। इस पर वैष्णव ने पूरी तरह से असहमति जताई और कहा कि यह जानकारी गलत थी। उन्होंने बताया कि डिजाइन को लेकर कोई विवाद नहीं था, और यह मुद्दा एक तकनीकी पक्ष से जुड़ा हुआ था, जिसे सुलझा लिया गया है।

निर्माण क्षमता को लेकर थी समस्या – वैष्णव

रेल मंत्री ने विस्तार से बताया कि असल समस्या फर्म की सीमित निर्माण क्षमता से जुड़ी थी। उन्होंने कहा कि रूस में सामान्य रूप से छोटे कोच बनाए जाते हैं, जबकि भारत को 16, 20 या 24 कोच वाली ट्रेनें चाहिए थीं। इस अंतर के कारण फर्म को यह समझने में परेशानी हुई कि भारत में ज्यादा कोच वाली ट्रेन की आवश्यकता क्यों है। वैष्णव ने यह भी कहा कि यह मुद्दा अब सुलझा लिया गया है और निर्माण प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है।

मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि फर्म ने भारतीय रेलवे की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन में बदलाव किए थे और इसे मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा था, लेकिन मंत्रालय ने इसे स्वीकार नहीं किया। वैष्णव ने इन दावों को भी निराधार बताया और कहा कि असल में यह सारी बातें फर्म की निर्माण क्षमता से जुड़ी थीं, ना कि डिजाइन में किसी प्रकार के बदलाव से।

1,920 स्लीपर कोच बनाने का अनुबंध

वैष्णव ने यह भी बताया कि ट्रांसमाशहोल्डिंग को भारतीय रेलवे के साथ 1,920 स्लीपर कोच बनाने का अनुबंध है। इन कोचों को वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों में शामिल किया जाएगा, जो भारतीय रेलवे की आधुनिक और उच्च-गति वाली ट्रेन परियोजना का हिस्सा हैं।

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