राहुल गांधी की मुश्किलें अभी नहीं हुई खत्म, जानें SC के फैसले के बाद अब आगे क्या

KNEWS DESK-  बीते दिन राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली लेकिन राहुल गांधी की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक सूरत की सत्र अदालत से इस मामले में फैसला नहीं आ जाता। राहुल गांधी ने कन्विक्शन के खिलाफ सूरत की सत्र अदालत में अपील दायर कर रखी है, जो अभी लंबित है। ऐसे में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत तो मिली है लेकिन उनकी कानूनी मुश्किलें अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। आइए जानते हैं अब इस केस में आगे क्या होगा?

राहुल गांधी की सांसदी होगी बहाल

मार्च 2023 में निचली अदालत से 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी. लोकसभा सचिवालय ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था. अब सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक के बाद राहुल गांधी एक बार फिर लोकसभा में लौटने के लिए तैयार हैं. शुक्रवार (4 अगस्त) को फैसला आने के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले थे और उनसे राहुल गांधी की सदस्यता तत्काल बहाल करने की मांग की थी. हालांकि, स्पीकर ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं।

ये है प्रक्रिया

लोकसभा सचिवालय के अधिकारी कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन करेंगे। इसके बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के संबंध में एक आदेश जारी किया जाएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया के पूरी होने की निश्चित समय सीमा नहीं है लेकिन आशा है कि राहुल गांधी अगले सप्ताह लोकसभा की कार्यवाही में भाग ले सकेंगे।

कानूनी मुश्किल अभी खत्म नहीं

सुप्रीम कोर्ट से कन्विक्शन पर रोक के बावजूद राहुल गांधी की मुश्किल अभी खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सजा पर रोक लगाई है। दोषसिद्धि को रद्द करने पर फैसला गुजरात की सूरत कोर्ट को लेना है, जहां पर राहुल गांधी ने अपील दायर कर रखी है। इसके पहले सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर तत्काल रोक लगाने की मांग खारिज कर दी थी।

क्या था मामला?

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली में कहा था कि मोदी सरनेम वाले चोर होते हैं। इसी बयान को लेकर बीजेपी नेता और गुजरात सरकार में मंत्री रहे पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था। मार्च 2023 में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। खास बात ये है कि इस आरोप में राहुल गांधी को अधिकतम सजा दी गई थी यानि अगर निचली अदालत ने एक दिन भी सजा कम दी होती तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर असर न पड़ता।

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