KNEWS DESK – लोकसभा सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है, खासकर अडानी मामले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार सरकार को घेर रही है, और अब राहुल गांधी ने लोकसभा स्पीकर से मुलाकात की है, जिसमें उन्होंने सदन में इस मामले पर चर्चा की मांग की।
सदन की कार्यवाही चलाने की अपील
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने स्पीकर से यह अपील की है कि सदन की कार्यवाही चलनी चाहिए और अडानी मामले पर बहस होनी चाहिए। राहुल ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और बीजेपी चाहे जो आरोप लगाए, वह उसका सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि सदन में चर्चा होना चाहिए ताकि इस गंभीर मामले को उचित तरीके से उठाया जा सके।
राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि 13 दिसंबर को संविधान पर बहस हो और अडानी मामले पर सदन में गहरी चर्चा हो। हम इसे छोड़ने वाले नहीं हैं।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों को भी हटाया जाना चाहिए, जिस पर स्पीकर ने आश्वासन दिया कि इस पर गौर किया जाएगा।
बीजेपी पर निशाना
राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार अडानी मामले पर संसद में चर्चा नहीं चाहती, और वह इस मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के अनुसार, बीजेपी अडानी मामले को दबाने के लिए तरह-तरह की रणनीतियों का सहारा ले रही है, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
प्रियंका गांधी का बयान
लोकसभा सत्र में लगातार व्यवधान उत्पन्न होने पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी बीजेपी पर तीखा हमला बोला। प्रियंका ने कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि पहली बार हम देख रहे हैं कि सरकार खुद संसद को चलने नहीं दे रही है।” उन्होंने कहा कि बीजेपी की यह रणनीति संसद के मूल उद्देश्य से भटकाने की कोशिश है, और सरकार को सदन में कामकाजी माहौल बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
कांग्रेस का अडानी पर विरोध जारी
कांग्रेस पार्टी संसद सत्र के पहले दिन से ही अडानी मामले को प्रमुख रूप से उठाते हुए सरकार पर दबाव बना रही है। राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता हर रोज़ नए तरीके से संसद के बाहर और भीतर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि इस मामले को उठाया जा सके। पार्टी का कहना है कि अडानी मामले में घोटाले के आरोपों पर सरकार का जवाबदेही तय होनी चाहिए और इसे दबाया नहीं जा सकता।