पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार परेशानियों में घिर गई है। राज्य सरकार पर खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ अप्रभावी होने के अलावा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनिच्छा के आरोप हैं| कुछ दशक पहले आतंकवाद का कहर झेल चुका पंजाब एक बार फिर सुलगने लगा है। सूबे में एक बार फिर खालिस्तान की गूंज सुनाई देने लगी है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने अलग खालिस्तान की मांग को लेकर एक फिर जहर उगला है। अमृतपाल ने कहा है कि आजादी के पहले भारत नहीं था, और वह भारत की परिभाषा को नहीं मानता। पिछले दो दिनों में जैसी तस्वीरें पंजाब से आई हैं, उन्हें देखकर लगता है कि वह भारत ही नहीं बल्कि भारत के कानून को भी नहीं मानता।
लवप्रीत तूफानी हुआ रिहा
जिस लवप्रीत तूफानी की वजह से पिछले 2 दिनों से पंजाब में तूफान आया हुआ था, वह अब जेल से बाहर आ गया है। अमृतसर जेल से लवप्रीत के बाहर निकलने के बाद समर्थकों ने जबरदस्त नारेबाजी की, और उसने भी ‘सत श्री अकाल’ के नारे लगाए। रिहाई के बाद तूफानी ने कहा, ‘मेरे पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। अमृतपाल सिंह सिख कौन के जरनैल (जनरल) हैं।’ लवप्रीत और अमृतपाल के बयानों को गौर से सुनें तो उनमें खालिस्तान की गूंज सुनाई देती है।
खालिस्तान की मांग गलत नहीं
अमृतपाल सिंह ने अपने ताजा बयान में कहा है कि लोकतंत्र में खालिस्तान की मांग गलत नहीं है। उसने कहा, ‘खालिस्तान के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन हमारा हक है, और आप हमारे लोकतांत्रिक अधिकार को दबा नहीं सकते।’ अमृतपाल ने कहा कि पंजाब एक अलग देश है और सिखों के साथ 1947 से ही अन्याय हो रहा है। उसने कहा कि जब तक ये होता रहेगा हम लड़ते रहेंगे। अमृतपाल ने लवप्रीत तूफानी के खिलाफ दर्ज FIR को भी फेक बताया|
लवप्रीत तूफानी की गिरफ्तारी और अब रिहाई के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या पंजाब की पुलिस अमृतपाल सिंह के बनाए गए दबाव के आगे झुक गई। अमृतपाल ने अपने समर्थकों के दम पर लवप्रीत तूफानी को रिहा करा कर पंजाब में आनेवाले तूफान का संकेत दे दिया है। लोगों के मन में सवाल है कि क्या भिंडरावाले को अपना गुरू मानने वाले अमृतपाल ने एक बार पंजाब की आजादी की जंग छेड़ दी है। सरकार की खामोशी पंजाब का फिक्र करने वालों की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है।