प्रयागराज: साथी डॉक्टर से मारपीट के विरोध में उतरे जूनियर डॉक्टर्स ने की हड़ताल, इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित

शिव शंकर सविता- प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू (SRN) चिकित्सालय में मंगलवार रात से जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल शुरू हो गई। साथी डॉक्टर पर हुए हमले में पुलिस कार्रवाई न होने से नाराज डॉक्टर्स ने अस्पताल की सेवाएं ठप कर दी हैं। हड़ताल के चलते इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। मरीजों को इलाज न मिलने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, सर्जरी विभाग के सेकेंड ईयर रेजिडेंट डॉक्टर अनुराग कुमार पर 22 सितंबर की रात जॉर्ज टाउन इलाके में हमला हुआ था। वे अपने अपार्टमेंट में रहते हैं। उस रात उनके पास एक कॉल आई जिसमें कहा गया कि उनके लिए पार्सल आया है। जैसे ही वे पार्सल लेने नीचे उतरे, वहां मौजूद कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर धावा बोल दिया और मारपीट करने लगे। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है।

तहरीर के बावजूद अभी तक नहीं हुई कार्रवाई

मारपीट की घटना के बाद डॉ. अनुराग ने तत्काल 112 नंबर पर कॉल किया, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें थाने ले गई। उन्होंने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ तहरीर दी, लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसी से नाराज जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक रूप से हड़ताल का ऐलान कर दिया। अस्पताल में हड़ताल शुरू होने के बाद से नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनू सिंह का कहना है कि अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि साथी डॉक्टर पर हमला गंभीर मामला है, और जब तक पुलिस का कोई वरिष्ठ अधिकारी आकर कार्रवाई का भरोसा नहीं देता, डॉक्टर्स अपनी हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।

हड़ताल खत्म कराने की कोशिशें बेअसर

अस्पताल परिसर में हड़ताल पर बैठे डॉक्टर्स ने नारेबाजी की और प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की। वहीं, पुलिस अधिकारियों ने डॉक्टरों से बातचीत कर हड़ताल खत्म कराने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इधर, मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में सेवाएं बंद होने से कई गंभीर मामलों में इलाज टल गया। परिजन अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन से जल्द समाधान निकालने की गुहार लगा रहे हैं। जूनियर डॉक्टर्स का साफ कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती और ठोस आश्वासन नहीं मिलता, वे काम पर नहीं लौटेंगे। इस वजह से प्रयागराज के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहराता जा रहा है।