KNEWS DESK- दिल्लीवालों ने दिवाली के अवसर पर देर रात तक जमकर आतिशबाजी की, जिससे शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया। बम और पटाखों के शोर के बीच, जहरीले धुएं ने आसमान को ढक लिया, जिसके परिणामस्वरूप वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई।
रात 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 330 पर पहुंच गया, जबकि प्रमुख क्षेत्रों जैसे आनंद विहार में यह ‘गंभीर’ श्रेणी में था। पीएम 2.5 की बढ़ती सांद्रता ने श्वसन स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। पिछले वर्ष दिवाली पर, जब वातावरण साफ था, AQI केवल 218 दर्ज किया गया था। इस वर्ष, प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों, पराली जलाने और वाहनों के धुएं के कारण स्थिति और बिगड़ गई, और आतिशबाजी ने समस्या को और बढ़ा दिया।
दिल्ली सरकार ने पिछले पांच वर्षों से पटाखों पर व्यापक प्रतिबंध लगाया है, जिसका उद्देश्य प्रदूषण को नियंत्रित करना है। दिवाली की पूर्व संध्या पर, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की थी कि 377 प्रवर्तन टीमों का गठन किया गया है, ताकि पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर नकेल कसी जा सके। इसके बावजूद, पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के कई इलाकों में प्रतिबंधों का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हुआ।
इस स्थिति ने नागरिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव और श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि से शहर की स्वास्थ्य प्रणाली पर खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में जब स्वास्थ्य संकट बढ़ रहा है, प्रदूषण को और बढ़ाना बेहद खतरनाक है।
दिल्ली सरकार को अब यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अगले वर्ष दिवाली के दौरान प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाए जाएं। इसके लिए जन जागरूकता, सख्त प्रवर्तन और वैकल्पिक उत्सव मनाने के तरीकों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस बार की दिवाली ने हमें एक बार फिर यह याद दिलाया है कि हमारे कार्यों के पर्यावरण पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।
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