KNEWS DESK – उत्तराखंड में पंचायत चुनाव समय पर न हो पाने के कारण राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। हरिद्वार जनपद को छोड़कर बाकी 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इस कदम को लेकर सियासत गर्मा गई है और विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं, जबकि राज्य सरकार ने इसे एक बेहतर प्रशासनिक कदम बताया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है, जिसके बाद अब इस पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।
ब्लॉक प्रमुखों का मुख्यमंत्री से मुलाकात, प्रशासक नियुक्ति पर उठाए सवाल
मंगलवार शाम को ब्लॉक प्रमुखों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला और पंचायतों में प्रशासक नियुक्ति को लेकर अपनी चिंता जताई। ब्लॉक प्रमुखों ने मांग की कि जैसे जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया गया है, वैसे ही उन्हें भी प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाए। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले में उचित निर्णय लिया जाएगा और राज्य के पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो सोमवार तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
प्रशासक नियुक्ति पर कांग्रेस में दिखी बंटवारे की स्थिति
इस फैसले को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर भी असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है। उत्तरकाशी से कांग्रेस के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्णय का समर्थन किया और इसे एक अच्छा प्रशासनिक कदम बताया। उनका कहना है कि 2016 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब पंचायती राज एक्ट में बदलाव किए गए थे, जिसके तहत जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था। इस फैसले को कांग्रेस सरकार के फैसले की तार्किक निरंतरता मानते हुए उन्होंने इसे सही कदम बताया।
हालांकि, हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया जा रहा है, तो ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत सदस्य और प्रधानों को भी प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि इन पदों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है और इन प्रतिनिधियों को भी वही सम्मान मिलना चाहिए जो जिला पंचायत अध्यक्षों को दिया जा रहा है।
राज्य सरकार की रणनीति और पंचायत प्रतिनिधियों की उम्मीदें
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाते हुए पंचायत प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया है कि सरकार जल्द ही इस पर उचित निर्णय लेगी। इसके बाद, चंद्रेश यादव के नेतृत्व में गठित कमेटी यह तय करेगी कि क्या अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को भी प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।