KNEWS DESK- जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के हालिया बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। चिराग ने राज्य में अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि उन्हें दुख है कि वे ऐसी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, जहां अपराध बेकाबू हो चुके हैं।
चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में कहा “जिस तरह से बिहार में अपराध हो रहे हैं, प्रशासन अपराधियों के सामने पूरी तरह नतमस्तक हो गया है। यह घटना सिर्फ निंदा का विषय नहीं है, बल्कि सोचने का समय है कि आखिर ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं।”
उन्होंने आगे कहा “अगर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो हालात भयावह हो जाएंगे। मुझे दुख है कि मैं ऐसी सरकार का समर्थन कर रहा हूं, जहां लोगों का जीवन असुरक्षित होता जा रहा है।”
चिराग के बयान पर जेडीयू और आरजेडी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा “दुखी व्यक्ति ज्यादा काम नहीं कर पाता है। चिराग पासवान को मीडिया में बयान देने के बजाय कैबिनेट बैठक में ये मुद्दे उठाने चाहिए।”
आरजेडी सांसद मनोज झा ने चिराग के बयान को “डबल स्पीक” बताया और कहा आप तो पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, फिर बिहार में हो रहे अपराधों पर फैक्ट फाइंडिंग टीम की मांग क्यों नहीं कर रहे? जब बंगाल में टीम भेजी जाती है, तो बिहार में क्यों नहीं?”
मनोज झा ने आगे कहा “प्रशासन क्या होता है? शासन में कौन है? आप केवल प्रशासन को दोष देकर सरकार की नाकामी से ध्यान नहीं हटा सकते।”
कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने चिराग पासवान के बयान का स्वागत करते हुए कहा “हम लोग तो पहले से कहते आए हैं कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर, अब ‘डिसऑर्डर’ बन चुका है। चिराग पासवान को अब जाकर यह एहसास हुआ है। लेकिन देर से ही सही, अच्छा है कि अब उन्हें यह समझ में आया।”
भगत ने चिराग को सलाह दी कि वे SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) की गड़बड़ियों पर भी खुलकर बोलें, जो हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में विवाद का विषय बनी है।
बिहार में इस समय कानून-व्यवस्था पर बहस चुनावी मुद्दा बनती जा रही है। हाल के दिनों में हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे आम जनता में असुरक्षा का माहौल है। चिराग पासवान का यह बयान, ऐसे समय में आया है जब केंद्र और राज्य में सहयोगी दलों के बीच तालमेल पर भी सवाल उठने लगे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान ने यह बयान देकर न सिर्फ नीतीश सरकार पर दबाव बनाया है, बल्कि खुद को जनता की आवाज के रूप में पेश करने की कोशिश की है। वे राज्य में एलजेपी (रामविलास) की मौजूदगी को मजबूत करना चाहते हैं और ऐसे में कानून-व्यवस्था पर आक्रामक रुख अपनाना एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है।