डिजिटल डेस्क- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार से दो दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस अहम कूटनीतिक यात्रा से पहले देश की सियासत में घमासान मच गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विदेश से आने वाले डेलिगेट्स को विपक्ष के नेताओं से न मिलने की सलाह देती है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत के संबंध दुनिया के हर देश से हैं। विपक्ष का नेता एक अलग परिप्रेक्ष्य देता है। हम भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के नेता बाहर से आने वाले प्रतिनिधियों से मिलें। यह परंपरा हमेशा से रही है, जिसे मौजूदा सरकार तोड़ रही है।” उन्होंने कहा कि एलओपी से मुलाक़ात संसद की स्थापित प्रथा है, लेकिन बार-बार इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
प्रियंका गांधी का भी सरकार पर हमला
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसी मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एलओपी के साथ विदेशी प्रतिनिधियों की मुलाकात प्रोटोकॉल का हिस्सा है। लेकिन सरकार असहमति की आवाज़ उठने नहीं देना चाहती। प्रियंका गांधी ने कहा, “वर्तमान सरकार को दूसरे पक्ष की आवाज़ सुनना पसंद नहीं है। लेकिन यह परंपरा निभाई जानी चाहिए।” कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते दशकों से मजबूत हैं। पुतिन के दौरे का श्रेय सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह संबंध कई पीढ़ियों से चले आ रहे हैं। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी रूस-भारत संबंध को मजबूत बनाए रखने पर जोर दिया। सीपीआई(एम) सांसद अमराराम ने रूस द्वारा भारतीय युवाओं की कथित रूप से सेना में भर्ती पर चिंता जताई और सरकार से इस पर चर्चा की मांग की। वहीं आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि रूस के साथ भारत का रिश्ता ऐतिहासिक रूप से बेहद मजबूत रहा है और इसे तीसरे देशों के प्रभाव से दूर रखा जाना चाहिए।
बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस के आरोपों के जवाब में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी बिना वजह भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्तंभ है। विदेशी डेलिगेशन तय करते हैं कि किससे मिलना है, विदेश मंत्रालय केवल सुविधा उपलब्ध कराता है। उन्होंने यह भी बताया कि राहुल गांधी पहले भी कई विदेशी नेताओं से मिल चुके हैं, इसलिए उनके आरोप तथ्यहीन हैं।