दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान, संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने सीएम आवास के बाहर दिया धरना

KNEWS DESK- दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सियासी माहौल गरमाता जा रहा है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, जिसके अनुसार दिल्ली में एक ही चरण में 5 फरवरी को मतदान होगा और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दिल्ली में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी पार्टी भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है।

इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के बाहर आप नेताओं संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस द्वारा सीएम आवास में घुसने से रोके जाने के बाद दोनों नेता वहां धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस और आप नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। पुलिस ने सीएम आवास के बाहर बैरिकेडिंग कर दी और भारी सुरक्षा बल तैनात किया है। आप नेताओं ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र की आवाज दबाने की कोशिश करार दिया।

संजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली स्थित आलीशान सरकारी आवास को लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने भाजपा से मांग की कि वह प्रधानमंत्री का 2700 करोड़ रुपये की लागत से बना ‘राजमहल’ दिखाए। संजय सिंह ने भाजपा से यह खुली चुनौती दी कि वह दिल्ली में ‘शीशमहल’ के बजाय पीएम के राजमहल को सार्वजनिक करें और यह भी बताएं कि कैसे जनता के पैसों का बेजा इस्तेमाल हो रहा है।

वहीं, भाजपा ने इस बयान को राजनीतिक सनसनी फैलाने की कोशिश बताया और आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के बयान दे रही है। भाजपा ने कहा कि वे शीशमहल जैसे मुद्दों की बजाय दिल्ली के विकास और जनता के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करेंगे।

इस दौरान, सौरभ भारद्वाज ने भी अपनी पार्टी के साथ खड़े होने का संकल्प लिया और कहा कि उनकी पार्टी हमेशा जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करती रहेगी। उन्होंने कहा कि यह धरना मुख्यमंत्री आवास के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र के संरक्षण के लिए है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ती सियासी तकरार ने राजनीतिक तापमान को और गर्म कर दिया है। यह चुनाव केवल दिल्ली की जनता के लिए महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि देश की राजनीति के लिए भी एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। 5 फरवरी को होने वाले मतदान के बाद, 8 फरवरी को चुनाव परिणाम सामने आएंगे, जो भविष्य में कई राजनीतिक धारा को प्रभावित करने का काम कर सकते हैं।

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