संभल घटना पर राजनीतिक हलचल तेज, आज संभल जाएंगे राहुल गांधी, प्रशासन ने रोकने के लिए किए पुख्ता इंतजाम

KNEWS DESK-  लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज संभल जाने के लिए तैयार हैं, और इसके लिए वह नई दिल्ली से सुबह रवाना होंगे। हालांकि, उनके संभल जाने को लेकर पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं ताकि उन्हें रोकने के प्रयास किए जा सकें। राहुल गांधी के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, संगठन महासचिव अनिल यादव सहित अन्य नेता भी दिल्ली से संभल के लिए निकलने वाले हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यदि पुलिस प्रशासन ने उन्हें रास्ते में रोकने का प्रयास किया, तो वे धरना-प्रदर्शन शुरू कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पदाधिकारी हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हैं। यह विवाद तब और बढ़ा, जब सोमवार को अजय राय और अन्य कांग्रेसी नेता संभल जाने की तैयारी में थे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें प्रदेश मुख्यालय में ही हाउस अरेस्ट कर लिया था। इसके अलावा, अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लेकर ईको-गार्डन भेजा गया था।

कांग्रेस के इन प्रयासों के बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि संभल की घटना सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है और इसके जरिए भाईचारे को नुकसान पहुंचाने की साजिश की जा रही है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा और उनके समर्थक देश के विभिन्न हिस्सों में खुदाई की बातें कर रहे हैं, जिससे देश का सौहार्द और भाईचारा खतरे में पड़ सकता है।

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि संभल का माहौल बिगाड़ने के लिए याचिकाकर्ता और पुलिस प्रशासन के लोग जिम्मेदार हैं। उन्होंने दोषी अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की मांग की। सपा प्रमुख ने यह भी जोड़ा कि यह लड़ाई केवल संभल या प्रदेश की नहीं, बल्कि दिल्ली और लखनऊ की सत्ता से जुड़ी है। उनका आरोप है कि भाजपा नेताओं ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए संभल की घटना को तूल दिया है, और आगामी उपचुनावों को देखते हुए यह साजिश रची गई है।

संभल घटना की पृष्ठभूमि में 19 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी। अदालत ने बिना दूसरे पक्ष को सुने उसी दिन सर्वे का आदेश दे दिया था। इसके बाद, शाही मस्जिद कमेटी और अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया, क्योंकि वे मानते थे कि सर्वे पहले ही हो चुका था। इसके बावजूद, 23 नवंबर की रात को अधिकारियों ने दोबारा सर्वे कराने की बात कही। इस दौरान जब लोगों ने विरोध किया, तो पुलिस ने अपनी सरकारी और निजी हथियारों से गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप पांच युवाओं की मौत हो गई।

इस घटना के बाद से ही राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। कांग्रेस और सपा दोनों ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया है, जबकि पुलिस प्रशासन ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराया है। इस विवाद ने संभल को एक बार फिर राजनीतिक केंद्र में ला खड़ा किया है, और अब सबकी निगाहें इस घटनाक्रम के आगे के मोड़ पर टिकी हैं।

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