बिहार में सियासी गर्माहट तेज़, राहुल गांधी का गया-नालंदा दौरा आज, नीतीश-कट्टर वोटबैंक में सेंधमारी की रणनीति

KNEWS DESK-  बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है, जबकि अभी तक चुनावी ऐलान आधिकारिक रूप से नहीं हुआ है। ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में अपने खिसके जनाधार को दोबारा मजबूत करने की कवायद तेज़ कर दी है। आज शुक्रवार को राहुल गांधी नालंदा और गया के दौरे पर हैं, जहां वे नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के गढ़ों में सियासी संदेश देने और वोटबैंक को साधने की कोशिश करेंगे।

राहुल गांधी सबसे पहले गया पहुंचेंगे, जो जीतनराम मांझी का मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां वे माउंटेन मैन दशरथ मांझी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देंगे और उनके परिवार से मिलेंगे। दशरथ मांझी के बेटे को पहले ही कांग्रेस में शामिल कराया जा चुका है, जबकि मांझी स्वयं केंद्र सरकार में मंत्री हैं। गया जिले में मुसहर समुदाय की बड़ी आबादी है, जो महादलित वर्ग में आता है और मांझी का मजबूत वोटबैंक माना जाता है। कांग्रेस की नजर इस समुदाय के समर्थन को हासिल करने पर है, जिसके लिए यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।

गया में राहुल गांधी महिलाओं से संवाद भी करेंगे। वे एक होटल में महिला संवाद कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां महिलाओं के लिए कोई बड़ी घोषणा भी की जा सकती है। यह कदम कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें दलित, अतिपिछड़े और महिलाओं के वोट को जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

गया दौरे के बाद राहुल गांधी नालंदा के राजगीर में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे। नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और जेडीयू का मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां राहुल विशेष रूप से अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों और लोगों से संवाद करेंगे। कांग्रेस का मकसद नीतीश कुमार के कोर वोटबैंक में सेंधमारी करना है, जो लंबे समय से बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

नीतीश कुमार की उम्र बढ़ने के साथ उनकी सियासी पकड़ कमजोर होती दिख रही है। ऐसे में कांग्रेस दलित और अतिपिछड़े वर्ग के जरिए सत्ता की चाबी हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।

बिहार में कांग्रेस की मुख्य राजनीतिक रणनीति दलित, ओबीसी और अतिपिछड़े वर्ग को जोड़ने पर केंद्रित है। राज्य में दलित आबादी करीब 17 प्रतिशत और अतिपिछड़े वर्ग 36 प्रतिशत है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का शासन भी इन्हीं वोटबैंकों पर टिका हुआ है। राहुल गांधी इन समुदायों के बीच ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ और ‘शिक्षा न्याय संवाद’ जैसे अभियान चलाकर युवाओं, दलितों और पिछड़े वर्ग का विश्वास जीतने में लगे हैं।

पिछले पांच महीनों में राहुल गांधी का यह बिहार में पांचवां दौरा है, जो इस रणनीति की गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने दरभंगा, पटना, नालंदा सहित कई जगह दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के साथ संवाद किया है।

राहुल गांधी इस दौरे के दौरान यह भी संदेश देने की कोशिश करेंगे कि पिछले करीब दो दशकों में नीतीश कुमार की सरकार रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर सकी। इसके साथ ही जीतनराम मांझी पर मुसहर समुदाय की बजाय अपने परिवार को सियासी तौर पर मजबूत करने का आरोप भी लगाया जाएगा। बिहार की राजनीति में यह मुकाबला काफी अहम माना जा रहा है। कांग्रेस की इस रणनीति से जेडीयू के लिए खतरा बढ़ सकता है, खासकर तब जब दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर नई राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं।

ये भी पढ़ें-   आज है निर्जला एकादशी, यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त, व्रत, राहुकाल और दिशा शूल की पूरी जानकारी…