पीएम मोदी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर लिखा लेख, बताया ‘वसुधैव कुटुम्बकम का साकार रूप’

डिजिटल डेस्क- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और एक विशेष लेख भी लिखा। पीएम मोदी ने कहा कि भागवत जी वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत का साक्षात उदाहरण हैं और स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि उनके पास ऐसा सरसंघचालक है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर लिखा कि मोहन भागवत जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक परिवर्तन, समरसता और भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने प्रार्थना की कि मां भारती की सेवा में उनका जीवन दीर्घायु और स्वस्थ रहे।

स्वामी विवेकानंद से 9/11 हमले तक का संदर्भ

मोदी ने अपने लेख में 11 सितंबर की ऐतिहासिक तिथियों का उल्लेख करते हुए लिखा कि 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व बंधुत्व का संदेश दिया और 2001 के 9/11 आतंकी हमले ने इस भावना को गहरी चोट पहुंचाई। इसी दिन मोहन भागवत जी का जन्मदिन होना खास महत्व रखता है। उन्होंने आगे लिखा कि पीएम ने याद किया कि उनका भागवत जी के पिता मधुकरराव भागवत से गहरा संबंध रहा है, जो जीवनभर राष्ट्र निर्माण में जुटे रहे। उन्होंने कहा कि मधुकरराव ने जिस तरह पुत्र मोहनराव को संस्कार दिए, उसी से संघ को एक और पारसमणि मिली।

आपातकाल से आज तक का संघर्ष

मोदी ने लिखा कि भागवत जी ने 1970 के दशक में प्रचारक के रूप में कार्य शुरू किया और आपातकाल विरोधी आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने महाराष्ट्र और बिहार के ग्रामीण इलाकों में समाज को संगठित करने के लिए कई वर्ष बिताए। वर्ष 2000 में सरकार्यवाह बने और 2009 से सरसंघचालक के रूप में संघ का नेतृत्व कर रहे हैं।

युवाओं से जुड़ाव और बदलाव का दौर

पीएम के अनुसार, भागवत जी का युवाओं से सहज जुड़ाव है और उन्होंने उन्हें संघ से जोड़ने का काम किया। उनके नेतृत्व में संघ में कई बड़े परिवर्तन हुए, जिनमें गणवेश बदलाव और शिक्षा वर्गों में सुधार शामिल हैं। मोदी ने लिखा कि कोरोना महामारी के दौरान भागवत जी ने स्वयंसेवकों को सुरक्षित रहते हुए समाजसेवा करने की दिशा दी। उनके मार्गदर्शन में देशभर में मेडिकल कैंप और राहत कार्य हुए।

संघ अक्षयवट की तरह

पीएम मोदी ने कहा कि संघ अक्षयवट की तरह है, जो संस्कृति और चेतना को ऊर्जा देता है। मोहन भागवत जी ने पंच परिवर्तन (स्वबोध, सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार, कुटुंब प्रबोधन और पर्यावरण) के जरिए समाज कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है।