ब्रज उत्सव में शामिल होने मथुरा पहुंचेंगे PM मोदी, मीराबाई जन्मोत्सव में भी होंगे शामिल

KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रज उत्सव में शामिल होने मथुरा पहुंचेंगे। साथ ही वो यहां मीराबाई जन्मोत्सव में भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब चार घंटे के दौरे पर मथुरा पहुंचेगें। पीएम मोदी मथुरा पहुंचने के बाद सबसे पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने जाएंगे।

नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने वाले पहले नेता होंगे। आजादी के बाद से अब तक किसी प्रधानमंत्री की यह पहली ऐसी मथुरा यात्रा है जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि पहुंचकर दर्शन करने का कार्यक्रम है। पीएम मोदी श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बाद रेलवे मैदान पहुंचकर भक्त मीराबाई जन्मोत्सव में शामिल होंगे।

भव्य झांकी का आयोजन, डाक टिकट होगा जारी

कान्हा की नगरी में बुधवार को मीराबाई की भव्य झांकी निकाली गई। मीरा बाई की 525वीं जयंती के अवसर पर ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा निकाली गई इस शोभायात्रा में शामिल कलाकारों ने अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत लिया। भक्तिकाल की संत मीराबाई पर डाक टिकट और सिक्का जारी किया जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी यह स्मृति डाक टिकट और सिक्का कल मथुरा में जारी करेंगे। वह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे और संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम संत मीराबाई 525वां जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसी के साथ मीराबाई की स्मृति में साल भर के आयोजन देश के कई स्थानों पर शुरू हो जाएंगे।

कौन थीं मीराबाई?

मीराबाई भक्तिकाल की महान कवि थीं। मीराबाई का जन्म वर्ष 1498 में पाली के कुड़की गांव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर में हुआ था। वे बचपन से ही कृष्णभक्ति में लीन रहने लगी थीं। मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे। वे मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। भोजराज का शादी के कुछ समय बाद निधन हो गया। मीराबाई को उनके साथ सती करने का प्रयास किया गया। लेकिन, वे श्रीकृष्ण को पति मानती थीं। सती के लिए तैयार नहीं हुईं। सांसारिक मायाओं से विरक्त होकर कृष्ण भक्ति में लीन हो गईं। वे कृष्ण मूर्ति के सामने नाचती रहती थीं।

परिवार को यह अच्छा नहीं लगता था। मीराबाई परिवार से अलग होकर द्वारका और वृंदावन गईं। वहां उन्हें अलग ही सम्मान मिलता था। मीरा का रहस्यवाद और भक्ति की निर्गुण मिश्रित सगुण पद्धति को बड़ा सम्मान मिला। उन्हें स्वतंत्र कवियत्री के रूप में पहचान मिली है। हरि तुम हरो जन की भीर, पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो, पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे जैसी कविताएं आज भी खूब चर्चित हैं।

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