KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह असम दौरे के दूसरे दिन ब्रह्मपुत्र नदी में एक क्रूज शिप पर सवार होकर छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अनोखे आयोजन में असम के अलग-अलग स्कूलों के कुल 25 छात्रों ने हिस्सा लिया। अधिकारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री करीब 45 मिनट तक तीन-डेक वाले क्रूज जहाज ‘एम वी चराइदेव 2’ पर मौजूद रहे और जहाज के ऊपरी डेक से छात्रों से बातचीत की।
कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय, पीएम श्री स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, असम जातीय विद्यालय, डॉन बॉस्को संस्थान और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सहित सरकारी, आवासीय और निजी स्कूलों के छात्र शामिल हुए। छात्रों ने परीक्षा के तनाव, पढ़ाई से जुड़े दबाव और भविष्य की चुनौतियों पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछे, जिनका पीएम मोदी ने सहज और प्रेरक अंदाज में जवाब दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनलैंड वॉटर ट्रांसपोर्ट (IWT) के गुवाहाटी गेटवे टर्मिनल पहुंचे थे, जिसका उद्घाटन हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था। यहां से वह फ्लोटिंग ब्रिज के जरिए क्रूज शिप तक पहुंचे। इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि पिछले साल प्रधानमंत्री के काजीरंगा दौरे के बाद वहां पर्यटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई थी और अब ब्रह्मपुत्र नदी पर इस तरह के आयोजनों से नदी पर्यटन को भी नया बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए पूरे इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। नदी पुलिस के साथ-साथ NDRF और SDRF के जवान सुबह से ही ब्रह्मपुत्र नदी में गश्त करते नजर आए। सुरक्षा कारणों से शनिवार से दो दिनों के लिए नदी पर फेरी सेवाएं भी बंद कर दी गईं।
क्या है ‘परीक्षा पे चर्चा’
‘परीक्षा पे चर्चा’ एक वार्षिक संवाद कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में की थी। इस कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी भारत और विदेशों में रहने वाले लाखों छात्रों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों से सीधे संवाद करते हैं। खास तौर पर कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को परीक्षा के तनाव से निपटने, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और जीवन में संतुलन बनाए रखने के टिप्स दिए जाते हैं।
इस दौरान कई टॉपर्स भी अपने अनुभव साझा करते हैं, जिससे छात्रों को प्रेरणा मिलती है। ब्रह्मपुत्र नदी के बीच क्रूज पर हुआ यह संवाद न सिर्फ छात्रों के लिए यादगार रहा, बल्कि असम में शिक्षा और पर्यटन—दोनों को एक नई पहचान देने वाला साबित हुआ।