KNEWS DESK- 15 अगस्त 2025 को देश ने 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े हर्षोल्लास और गर्व के साथ मनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। उनके भाषण में देशभक्ति, सुरक्षा, एकता और आत्मनिर्भरता के साथ-साथ भारत की बदलती वैश्विक भूमिका की झलक देखने को मिली।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए की। उन्होंने कहा, “आज देश के 140 करोड़ नागरिक तिरंगे के रंग में रंगे हुए हैं। रेगिस्तान से लेकर हिमालय की चोटियों तक, समंदर के किनारों से लेकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों तक, हर जगह भारत माता की जय का उद्घोष हो रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस को “संकल्पों का पर्व” बताया और कहा कि यह वह दिन है जब हमें देश की एकता, अखंडता और प्रगति के लिए नए संकल्प लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान आज देश के लिए प्रकाश स्तंभ का काम कर रहा है और सामूहिक प्रयासों से भारत नए मुकाम पर पहुंच रहा है।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए सेना के जांबाजों को सलामी दी। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने आतंकवादियों को करारा जवाब दिया, जिन्होंने पहलगाम में धर्म के आधार पर निर्दोषों की हत्या की थी।
उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “हम आतंक को और उन्हें समर्थन देने वालों को अब अलग-अलग नहीं मानते। ये सभी मानवता के दुश्मन हैं। भारत अब न्यूक्लियर ब्लैकमेल सहन नहीं करेगा।”
प्रधानमंत्री ने भारत की नदियों के पानी के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया और कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को उसके हिस्से का पानी मिले। उन्होंने सिंधु जल संधि को “एकतरफा और अन्यायपूर्ण” बताते हुए पुनर्विचार की आवश्यकता पर जोर दिया।
“भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते,” उन्होंने कहा। यह बयान पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि भारत अब जल संसाधनों के मामले में अपने अधिकार को लेकर गंभीर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत आज आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान दें ताकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित हो सके।