डिजिटल डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने मंदिरों में दर्शन व्यवस्था और अनुष्ठानों को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि “लोग भगवान को भी आराम नहीं करने देते।” अदालत की यह टिप्पणी मंदिरों में बढ़ती भीड़, दर्शन समय और व्यवस्थाओं से जुड़ी चिंताओं को दर्शाती है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय में बदलाव कोई साधारण प्रशासनिक फैसला नहीं है, बल्कि यह धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से मंदिर में दर्शन के लिए निर्धारित समय का सख्ती से पालन होता रहा है और इन समयों का धार्मिक महत्व है। अन्य मंदिरों की तुलना में यहां लचीलापन सीमित होना चाहिए।
दर्शन का समय बढ़ाने में क्या समस्या है- सुप्रीम कोर्ट
इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सवाल किया कि यदि दर्शन का समय बढ़ाया जाता है तो इसमें क्या समस्या है। उन्होंने कहा कि इससे अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन का अवसर मिल सकता है। जवाब में श्याम दीवान ने कहा कि इसमें संवेदनशीलता की जरूरत है, क्योंकि समय में बदलाव से परंपरागत पूजा-पद्धति प्रभावित हो सकती है। सीजेआई ने यह भी टिप्पणी की कि कई बार दर्शन और विशेष अनुष्ठानों के नाम पर उन लोगों को बुलाया जाता है जो भारी रकम चुकाने में सक्षम होते हैं।
मुख्य चिंता श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था
उन्होंने कहा कि यह वही समय होता है जब तथाकथित अमीर लोग हर तरह की प्रथाओं में शामिल होते हैं। दीवान ने माना कि यह आशंका सही हो सकती है, लेकिन इसे अलग मुद्दा बताते हुए कहा कि मुख्य चिंता श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था है। वकील ने यह भी कहा कि मंदिर प्रशासन भगदड़ जैसी स्थिति नहीं चाहता और श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित करना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बांके बिहारी मंदिर उच्चाधिकार समिति और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जनवरी में अदालत के खुलने के पहले सप्ताह में इस याचिका पर विस्तृत सुनवाई होगी।