डिजिटल डेस्क- भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संस्कृति मंत्रालय के ज्ञान भारतम मिशन के अंतर्गत पतंजलि विश्वविद्यालय को क्लस्टर सेंटर के रूप में मान्यता दी गई है। यह घोषणा हरिद्वार में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान की गई, जहां इस संबंध में एक औपचारिक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगगुरु स्वामी रामदेव, कुलगुरु डॉ. आचार्य बालकृष्ण, ज्ञान भारतम मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. अनिर्बान दाश, एनएमएम के कोऑर्डिनेटर डॉ. श्रीधर बारीक, डिजिटाइजेशन कोऑर्डिनेटर विश्वरंजन मालिक सहित कई गणमान्य विशेषज्ञ और शिक्षाविद मौजूद रहे।
स्वामी रामदेव ने जताया आभार
योगगुरु स्वामी रामदेव ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और ज्ञान भारतम मिशन की पूरी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान भारतम मिशन भारतीय ज्ञान परंपरा, योग, आयुर्वेद और संस्कृति के संरक्षण का सशक्त उदाहरण है, जो भारत को उसकी बौद्धिक विरासत से जोड़ने का कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में कुलगुरु डॉ. आचार्य बालकृष्ण ने जानकारी दी कि ज्ञान भारतम मिशन के तहत अब तक 33 एमओयू साइन किए जा चुके हैं और योग शिक्षा आधारित पहला क्लस्टर सेंटर पतंजलि विश्वविद्यालय बना है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में अब तक 50 हजार से अधिक प्राचीन ग्रंथों का संरक्षण किया जा चुका है, जबकि 42 लाख से अधिक पृष्ठों का डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है। इसके साथ ही 40 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का शोधन और पुनर्प्रकाशन भी किया गया है।
पतंजलि विश्वविद्यालय करेगा 20 अन्य केंद्रों को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित
क्लस्टर सेंटर के रूप में मान्यता मिलने के बाद अब पतंजलि विश्वविद्यालय 20 अन्य केंद्रों को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित करेगा, ताकि उन्हें भी ज्ञान भारतम मिशन से जोड़ा जा सके और भारतीय संस्कृति के संरक्षण का कार्य और व्यापक स्तर पर किया जा सके। ज्ञान भारतम मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. अनिर्बान दाश ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय योग और आयुर्वेद से जुड़ी पांडुलिपियों पर गहन अनुसंधान करेगा और इन प्राचीन ज्ञान स्रोतों को शिक्षा क्रांति से जोड़कर समाज तक पहुंचाएगा।