डिजिटल डेस्क- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना-II भ्रष्टाचार मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद देश की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संभावित विरोध प्रदर्शन और रावलपिंडी के लियाकत बाग में जमात-ए-इस्लामी की सभा को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। रावलपिंडी शहर में 1,300 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गई है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। शनिवार को फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) की विशेष अदालत ने इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 17-17 साल की जेल की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद इमरान खान ने जेल से ही अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल के जरिए समर्थकों से विरोध दर्ज कराने की अपील की। इसके बाद पीटीआई के नेता और कार्यकर्ता खुलकर मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं।
रावलपिंडी में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम
प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने रावलपिंडी में भारी पुलिस बल तैनात किया है। अधिकारियों के मुताबिक, शहर में इसके अलावा, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 32 पिकेट स्थापित किए गए हैं और एलीट फोर्स के कमांडो भी तैनात किए गए हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संवेदनशील इलाकों में लगातार गश्त की जा रही है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पीटीआई नेता और उनके वकील के बीच हुई बातचीत का विवरण एक्स पर साझा किया गया। इसमें इमरान खान ने कहा, “मैंने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री को सड़क पर आंदोलन की तैयारी करने का संदेश भेजा है। पूरे देश को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा।” इमरान खान ने कहा कि अदालत का फैसला उनके लिए कोई हैरानी की बात नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी कानूनी टीम को हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती देने के निर्देश दे दिए हैं।
पीटीआई का आरोप: जानबूझकर फंसाया गया
पीटीआई के महासचिव सलमान अकरम राजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पार्टी अपने संस्थापक के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है और यह फैसला लोकतंत्र के खिलाफ है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में देशव्यापी आंदोलन तेज किया जा सकता है। बताते चलें कि तोशाखाना-II भ्रष्टाचार मामले में आरोप है कि मई 2021 में एक आधिकारिक दौरे के दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस ने इमरान खान को एक महंगा तोहफा दिया था। आरोप है कि इसे सरकारी तोशाखाना (पाकिस्तान आर्काइव) में जमा कराने के बजाय इसकी कीमत कम दिखाकर निजी तौर पर रख लिया गया। जांच में यह दावा गलत पाया गया और मामला अदालत तक पहुंचा।