उत्तराखंड- उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अब छह माह से भी कम का समय रह गया है। इसको देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी तैयारी तेज कर दी है। सत्ताधारी दल यानि की बीजेपी इन सभी तैयारियों में काफी आगे है। वहीं भाजपा ने 2024 के दंगल को जीतने के लिए दो महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है जिसके तहत बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में हारी हुईं 23 सीटों पर जीत के लिए सांसदों की जिम्मेदारी तय कर दी है साथ ही भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के लिए मीडिया संवाद शुरू कर दिया है। 29 अक्तूबर से 5 नवंबर तक होने वाली इन प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख रूप से ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से विकास की संभावनाएं और अब तक की निवेश उपलब्धियों को साझा किया जाएगा। इसके साथ ही पीएम मोदी के पिथौरागढ़ दौरे से देवभूमि को मिली सौगातें, जमरानी बांध परियोजना के लिए वित्तपोषण का ऐतिहासिक निर्णय समेत सरकार के अब तक के बड़ी कार्य योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। भाजपा को पूरी उम्मीद है कि 2024 में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा जीत की हैट्रिक मारेगी हालांकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बार भाजपा को सबक सिखाने की बात कही है।
देवभूमि उत्तराखंड के चुनावी दंगल के लिए समय अब बेहद कम है। जैसे- जैसे समय निकलता जा रहा है वैसे- वैसे जीत की टेंशन बढ़ती जा रही है। चुनावी जीत का स्वाद चखने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी- अपनी तैयारी तेज कर दी है। सत्ताधारी दल यानि की बीजेपी इन सभी तैयारियों में काफी आगे है। भाजपा ने तमाम रणनीतियों पर कार्य शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में भाजपा साल 2022 में हारी हुई 23 विधानसभा सीटों पर मंथन करेगी। इसके लिए पार्टी ने सभी सांसदों को जिम्मेदारी सौंप दी है। इसके तहत 6 से 17 नवंबर तक सांसद विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास करेंगे। पार्टी ने हारी सीटों को 60 प्रतिशत अधिक मतों से जीतने का लक्ष्य रखा है। वहीं विपक्षी दलों ने भाजपा के इस कार्यक्रम पर कटाक्ष किया है।
एक तरफ जहां भाजपा हारी हुई सीटों पर मंथन कर रही है तो दूसरी ओर भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के लिए मीडिया संवाद भी शुरू कर दिया है। 29 अक्टूबर से 5 नवंबर तक होने वाली इन प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख रूप से ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से विकास की संभावनाएं और अब तक की निवेश उपलब्धियों को साझा किया जाएगा। इसके साथ ही पीएम मोदी के पिथौरागढ़ दौरे से देवभूमि को मिली सौगातें, जमरानी बांध परियोजना के लिए वित्तपोषण का ऐतिहासिक निर्णय समेत सरकार के अब तक के बड़ी कार्य योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। पार्टी ने इसके लिए भी तमाम नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है। हांलाकि विपक्ष का कहना है कि धरातल पर सरकार ने जब कोई विकास कार्य किए ही नहीं है तो फिर ये मीडिया संवाद किसके लिए किया जा रहा है?
कुल मिलाकर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्लान तैयार कर लिया है। भाजपा एक तरफ जहां हारी हुई सीटों पर मंथन करने के साथ ही हारी सीटों को 60 प्रतिशत अधिक मतों से जीतने का लक्ष्य रख रही है। तो दूसरी ओर मीडिया संवाद कर केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को जनता को गिना रही है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा का प्लान विपक्षी दलों पर भारी पड़ेगा। क्या भाजपा 2024 में एक बार फिर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तैयार है और क्या विपक्ष भाजपा के जीत के रथ को रोक पाने में कामयाब हो पाएगी?
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