KNEWS DESK…. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता पर दिए गए बयान पर विपक्ष ने निशाना साधा। कांग्रेस के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि वे बरोजगारी, गरीबी, मंहगाई, मणिपुर के हालात पर बात क्यों नहीं करते हैं। मणिपुर 60 दिनों से जल रहा है, एक बार भी उन्होंने शांति की अपील नहीं की। इन सब मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे ऐसी बातें कर रहे हैं।
दरअसल आपको बता दें कि पीएम मोदी की समान नागरिक संहिता की गई टिप्पणी पर AIMIM प्रमुख असुदुदीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह समझने की ज़रूरत है कि अनुच्छेद 29 एक मौलिक अधिकार है, मुझे लगता है प्रधानमंत्री को यह समझ नहीं आया। संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदूओं में जन्म-जन्म का साथ है। क्या आप सबको मिला देंगे? भारत की विविधता को वे एक समस्या समझते हैं। बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित विधि आयोग ने विचार कर जो रिपोर्ट दी उसमें उन्होंने समान नागरिक संहिता को सही नहीं बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस देश में इसकी आवश्यक्ता नहीं है। कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने कहा कि प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान की शपथ ली है। देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के एक कार्यक्रम में भोपाल में कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है…सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं।