डिजिटल डेस्क- गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर आयोजित ‘राष्ट्र्रीय एकता दिवस’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन 15 अगस्त और 26 जनवरी जितना ही महत्वपूर्ण है और इसका अर्थ देश की अखंडता और एकात्मता को मजबूत करना है। उन्होंने परेड और झांकियों को गणतंत्र-दिवस जैसा दर्जा देने की बात कही और कहा कि करोड़ों नागरिकों ने एकता की शपथ ली है।
सरदार पटेल के योगदान को किया याद
मोदी ने सरदार पटेल के योगदान को याद कर बताया कि उन्होंने छोटे-छोटे रियासतों को जोड़कर आधुनिक भारत की नींव रखी। उनका यह दृढ़ निश्चय और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का विज़न आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पटेल की स्मृति को सम्मानित करने का सचित्र मतलब यही है कि हम ऐसे विचारों और कार्यों से दूर रहें जो राष्ट्र की एकता को कमजोर करते हों। भाषण में मोदी ने ऐतिहासिक नीतियों और उनके निहितार्थों पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पटेल चाहते थे कि कश्मीर का विलय उसी तरह हो जैसे अन्य रियासतों का हुआ, लेकिन तत्कालीन नीतियों के चलते अलग रास्ता अपनाया गया जिसके गहरे और दीर्घकालिक नतीजे रहे। उन्होंने तर्क दिया कि इन गलतियों ने देश को दशकों तक चुनौतियों का सामना करवाया।
वर्तमान समय की चुनौतियों पर थी खींचा ध्यान
एकता और संप्रभुता की बात के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने वर्तमान समय की चुनौतियों पर भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा और एकात्मता पर ‘घुसपैठियों’ और अवैध प्रवासन का प्रभाव चिंता का विषय है; सरकार इसे गंभीर सुरक्षा समस्या मानती है और इसके खिलाफ निर्णायक कदम उठाने का संकल्प लिया गया है। मोदी ने वोटबैंक राजनीति के संदर्भ में भी पुरानी नीतियों पर कटाक्ष किया।
कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार ने एकता-सम्बंधी कई पहलों, रन फॉर यूनिटी और केवड़िया में विकास-परियोजनाओं का भी ज़िक्र किया। केवड़िया में आयोजित परेड और कार्यक्रमों ने सरदार पटेल की भूमिका और ‘एकता’ के संदेश को पुनः राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में ला दिया है। वहीं आलोचक यह भी कहते हैं कि इतिहास और नीतियों की विवेचना संतुलित तरीके से होनी चाहिए।