उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट- उत्तराखंड में अब सफर करना होगा महंगा। राज्य सरकार जल्द ही बाहर से आने वाले निजी वाहनों से भी ग्रीन टैक्स वसूलने की तैयारी में है। अब तक यह टैक्स केवल कमर्शियल गाड़ियों पर लागू था. लेकिन जल्द ही निजी कार, जीप और अन्य चार पहिया वाहनों को भी इसके दायरे में शामिल किया जाएगा। सरकार के इस कदम से सालाना लगभग 150 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है। परिवहन विभाग ने टैक्स वसूली की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए एक निजी कंपनी से करार कर लिया है। राज्य की सीमाओं पर 15 ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं. जो बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों की पहचान करेंगे। यह टैक्स फास्टैग के जरिये वसूला जाएगा। अगर किसी वाहन में फास्टैग नहीं है या बैलेंस शून्य है. तो कैमरा वाहन का नंबर कैप्चर कर प्रवर्तन टीम को सूचना भेज देगा. जिसके बाद टैक्स की वसूली की जाएगी। देहरादून जिले में कुल्हाल, तिमली रेंज, आशारोड़ी, नारसन, गोवर्धनपुर और चिड़िया पुर, वहीं कुमाऊं में काशीपुर, जसपुर, रुद्रपुर और पुलभट्टा की सीमाओं पर कैमरे लगाए गए हैं। अगर कोई वाहन 24 घंटे के भीतर दोबारा राज्य में प्रवेश करता है. तो उसे दोबारा शुल्क नहीं देना होगा। वही विपक्ष ग्रीन टैक्स लगाने को तो सही मान रहा है. लेकिन बाहरी राज्यों से जो गाड़िया आती है उनकी न तो फिटनेस चैक होती है. और न ही ड्राइवर का अनुभव जिसके चलते पहाड़ों पर आय-दिन दुर्घटनाये होती रहती हैं। सरकार को इसपर ध्यान देने की ज़रूरत है।
उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले बाहरी राज्यों के वाहन चालकों को अब जेब ढीली करनी होगी। राज्य सरकार दिसंबर माह से बाहरी वाहनों पर ग्रीन सेस यानी एंट्री टैक्स लगाने जा रही है। सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य में प्रदूषण नियंत्रण और सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है. बाहरी राज्यों के वाहनों को उत्तराखंड में प्रवेश करने पर एंट्री टैक्स देना होगा. सरकार ने इस टैक्स को ग्रीन सेस का नाम दिया है। राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिया है. अब तैयारी अंतिम चरण में है और अपर आयुक्त परिवहन एसके सिंह का कहना है कि दिसंबर माह में ग्रीन सेस लेना शुरू कर दिया जाएगा। दूसरे राज्य से आने वाली हर गाड़ी की फास्टैग से ऑटोमेटिक वसूली होगी, यह सारी प्रक्रिया ANPR कैमरों की नजर में रहेगी। इस ग्रीन सेस से 100-150 करोड़ रुपये सालाना राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए परिवहन विभाग ने एक निजी कंपनी से करार किया है. जो राज्य की सीमाओं पर 16 स्थानों पर लगे ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन यानी ANPR कैमरों के जरिये बाहर से आने वाले वाहनों की पहचान करेगी। ये कैमरे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल की सीमाओं पर सोलह स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। एक एंट्री गेट हिमाचल प्रदेश के पाउंटा साहिब के पास और बाक़ी यूपी बॉर्डर पर होंगे। गढ़वाल में कुल्हाल, तिमली रेंज, आशारोड़ी, नारसन, गोवर्धनपुर, चिड़िया पुर समेत अंतर्राज्यीय सीमा पर कई स्थानों पर ये कैमरे लगाएं गए हैं। वही कुमाऊं में खटीमा, काशीपुर, जसपुर, रुद्रपुर, पुल भट्टा (बरेली रोड) समेत कई जगह कैमरे लगे हैं। अगर कोई वाहन एक दिन के भीतर दोबारा राज्य में प्रवेश करता है तो उसे दोबारा शुल्क नहीं देना होगा। मतलब ये सेस 24 घंटों के लिए मान्य होगा। इसके लिए संबंधित कंपनी को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI से पेमेंट गेटवे की अनुमति भी मिल चुकी है।
इन वाहनों को मिलेगी छूट
दूसरे राज्यों से आने वाले दो पहिया, इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन को पूरी तरह छूट दी जाएगी।
सरकारी वाहन, एंबुलेंस और अग्निशमन वाहन को भी इस शुल्क से अलग रखा गया है।
परिवहन विभाग ने वाहनों की श्रेणी के अनुसार सेस दरें तय की हैं —
: चार पहिया वाहनों पर ₹80
: डिलीवरी वेन ₹ 250
: भारी वाहनों पर ₹120 प्रति दिन
: बस ₹ 140
: ट्रक साइज के हिसाब से टैक्स लिया जाएगा जो ₹ 140-700 तक होगा
वही दूसरे राज्यों से आने वाले दो पहिया, इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन को पूरी तरह छूट दी जाएगी। सरकारी वाहन, एंबुलेंस और अग्निशमन वाहन को भी इस शुल्क से अलग रखा गया है। परिवहन विभाग ने वाहनों की श्रेणी के अनुसार सेस दरें तय की हैं. जिसमें चार पहिया वाहनों पर ₹80, डिलीवरी वेन ₹ 250, भारी वाहनों पर ₹120 प्रति दिन, बस ₹140, ट्रक साइज के हिसाब से टैक्स लिया जाएगा जो ₹140-700 तक होगा। सरकार का कहना है कि इस ग्रीन सेस से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, सड़क सुरक्षा और शहरी परिवहन सुधार में किया जाएगा। यह कदम राज्य की स्वच्छ और सुरक्षित यातायात नीति को मजबूती देगा। गौरतलब है कि उत्तराखंड से पहले हिमाचल प्रदेश में भी निजी वाहनों से एंट्री टैक्स के रूप में ऐसा शुल्क लिया जा रहा है। अब देवभूमि भी उसी राह पर आगे बढ़ रही है। वही प्रदेश के विपक्ष ने ग्रीन टैक्स लगाने का तो समर्थन किया. लेकिन बाहरी राज्यों से जो गाड़िया आती हैं उनकी न तो फिटनेस चैक होती है. और न ही ड्राइवर का अनुभव जिसके चलते पहाड़ों पर आय-दिन दुर्घटनाये होती रहती हैं. जिसमें कई जाने भी चली जाती हैं. सरकार को इस पर भी कठोर कदम उठाने की ज़रूरत है।
अब ग्रीन सेस के रूप में बाहरी वाहनों को उत्तराखंड में प्रवेश के लिए शुल्क देना ही होगा। देखना होगा सरकार का यह दावा और कदम पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक यातायात व्यवस्था की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित होता है. या जनता पर एक और आर्थिक बोझ बनकर रह जायेगा। क्या ग्रीन सेस वसूली से पर्यावरण पर भी ध्यान दिया जायेगा ऐसे कई सवाल है.जिसका जवाब अब आने वाले समय पर ही साफ पायेगा।