“सुधार नहीं, जनता पर थोपा गया जुल्म… राहुल गांधी का SIR पर बड़ा हमला

डिजिटल डेस्क- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने देशभर में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR सुधार की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनता पर थोपा गया बोझ है, जिससे मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है और मतदाता सूची में हेरफेर का रास्ता साफ किया जा रहा है। राहुल गांधी ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट साझा कर अपनी नाराजगी जताई। राहुल गांधी ने सबसे बड़ा सवाल उन बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) की मौत पर उठाया जो SIR के दौरान तनाव, ओवरवर्क और दबाव का सामना कर रहे थे। उन्होंने लिखा कि पिछले तीन हफ्तों में 16 BLO की जान चली गई। कुछ को हार्ट अटैक आया, कुछ मानसिक तनाव में रहे और कुछ ने आत्महत्या कर ली। राहुल ने इसे प्रशासनिक असफलता नहीं, बल्कि थोपा गया ज़ुल्म बताया। उन्होंने दावा किया कि SIR के बहाने पूरे देश में अफरा-तफरी मचाकर चुनाव आयोग लोगों को असहज कर रहा है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया लोगों को थकाने और सही मतदाता को वोट देने के अधिकार से दूर करने के लिए बनाई गई है।

“मतदाता खुद को तलाशने में 22 साल पुरानी फाइलें खंगाल रहे”

राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर ऐसी व्यवस्था बनाई है, जिसमें नागरिकों को अपने नाम की पुष्टि के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्ने खंगालने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे सही मतदाता थक-हार जाता है और वोट चोरी बिना रोक-टोक जारी रहती है। राहुल गांधी ने ECI की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित कर रहा है, तब चुनाव आयोग अभी भी कागज़ों के ढेर पर ही निर्भर है। यदि नीयत साफ होती, तो सूची पूरी तरह डिजिटल, आसानी से खोजने योग्य और मशीन-रीडेबल होती। उन्होंने आरोप लगाया कि 30 दिनों की जल्दबाजी में अंधाधुंध काम ठेलकर ECI ने पारदर्शिता और जवाबदेही से मुंह मोड़ लिया है।

“SIR एक साजिश… लोकतंत्र को नुकसान”

राहुल गांधी ने अपने पोस्ट के अंत में SIR को “सोची-समझी चाल” बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया नागरिकों को परेशान करने और BLOs पर अनुचित दबाव डालने की साजिश है। उनकी मौतें “कॉलैटरल डैमेज” की तरह अनदेखी की जा रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह नाकामी नहीं, बल्कि एक बड़ा षड्यंत्र है जिसमें सत्ता बचाने के लिए लोकतंत्र की बलि दी जा रही है।

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