KNEWS DESK- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार यानि आज कहा कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य हालात सिर्फ सैनिकों की पारंपरिक तैनाती के आधार पर हासिल की जा सकेगी। उनके मुताबिक बीजिंग के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए यही शर्त पहले होगी।
एस. जयशंकर ने मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में प्रवासी भारतीय के साथ बातचीत के दौरान चीन के साथ भारत के मौजूदा संबंधों पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारतीयों के लिए उनका पहला कर्तव्य सीमा की सुरक्षा करना है और वे इस पर कोई समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हर देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। उनके मुताबिक बेहतर संबंध कौन नहीं चाहता है लेकिन हर रिश्ते को किसी न किसी आधार पर बनाया जाता है।
जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ बातचीत की जा रही है और वे चीन के विदेश मंत्री से बातचीत करते हैं और उनसे मुलाकात करते रहते हैं। उनके मुताबिक भारत और चीन के सैन्य कमांडर एक- दूसरे से बातचीत करते हैं लेकिन भारत की पोजीशन एकदम साफ है कि दोनों देशों के बीच एक समझौता था। उनके मुताबिक एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना न लाने की परंपरा है।
जयशंकर के मुताबिक दोनों देशों के सैन्य ठिकाने एलएसी से कुछ ही दूरी पर हैं जो पारंपरिक तैनाती की जगह है। उनके मुताबिक भारत चाहता है कि एलएसी पर हालात सामान्य रहे। उन्होंने कहा कि सीमा पर सेना की तैनाती के मामले में सामान्य हालात चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का आधार बनेगी। उन्होंने कहा कि चीन के मामले में, संबंध कई कारणों से मुश्किल रहे हैं, जिसमें ये तथ्य भी शामिल है कि दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद है।
जयशंकर ने कहा कि कई साल तक सीमा विवाद के बावजूद भारत ने चीन के साथ वास्तव में अहम संबंध बनाए क्योंकि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि जब वो सीमा विवाद पर बातचीत करेंगे, तो दोनों इस बात पर सहमत होंगे कि बड़ी संख्या में सैनिकों की सीमा पर तैनाती नहीं करेंगे और ऐसे हालात नहीं होंगे जिससे हिंसा और खून-खराबा हो। उन्होंने कहा कि ये सहमति बननी 1980 के दशक के आखिर में शुरू हुई और कई समझौतों में इसकी झलक दिखी। जयशंकर ने कहा कि दुर्भाग्यवश, 2020 में सीमा समझौते तोड़े गए थे, जिसकी वजह अब तक साफ नहीं है। उनके मुताबिक वास्तव में सीमा पर हिंसा और खून-खराबा हुआ। जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गये थे।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हर देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। कौन नहीं चाहता? लेकिन हर रिश्ते को किसी न किसी आधार पर बनाना होता है। अब चीन के मामले में, कई कारणों से संबंध मुश्किल हो गए हैं, जिसमें ये तथ्य भी शामिल है कि दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद है। लेकिन कई साल से सीमा विवाद के बावजूद, हमने एक महत्वपूर्ण रिश्ता बनाया क्योंकि हम इस बात पर सहमत हुए कि जब हम सीमा विवाद पर बातचीत करेंगे, तो हम दोनों इस बात पर सहमत होंगे कि हम बड़ी संख्या में सैनिकों को सीमा तक नहीं लाएंगे और हमारे सामने कभी भी ऐसे हालात नहीं होंगे जहां इसके उलट हिंसा और खून-खराबा होगा। इसलिए ये समझ जो 1980 के दशक के अंत में शुरू हुई थी, वास्तव में कई समझौतों में इसकी झलक दिखाई दी और उन समझौतों ने रिश्ते को स्थिरता दी जिसके आधार पर दूसरे क्षेत्रों में संबंध आगे बढ़े। अब, दुर्भाग्य से, उन वजहों से जो अब भी हमारे लिए साफ नहीं हैं, ये समझौते 2020 में टूट गए थे और हमने सीमा पर हिंसा और खून-खराबा देखा। भारतीयों के लिए मेरा पहला कर्तव्य सीमा को सुरक्षित करना है। मैं इस पर कभी समझौता नहीं कर सकता। हम अब भी चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं। मैं अपने समकक्ष से बात करता हूं। हम समय-समय पर मिलते हैं। हमारे सैन्य कमांडर एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। लेकिन हम बहुत स्पष्ट हैं कि हमने एक समझौता किया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा है। हमारे यहां सैनिकों को उस लाइन पर नहीं लाने की परंपरा रही है। हम दोनों के ठिकाने कुछ दूरी पर हैं, जो हमारी पारंपरिक तैनाती की जगह है और हम सामान्य हालात चाहते हैं, ताकि सेना की तैनाती के संदर्भ में हम जहां हैं, वहां सामान्य हालात आगे बढ़ने वाले संबंधों का आधार होगी और हम इसके बारे में चीन के साथ बहुत, बहुत ईमानदार रहे हैं।
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