KNEWS DESK – राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। एनआईए के अनुसार पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए हमले को लश्कर-ए-तैयबा के सिर्फ तीन पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। पहले की अटकलों और गवाहों के बयानों में चार से पांच हमलावरों का जिक्र था, लेकिन अब एजेंसी ने साफ कर दिया है कि इसमें केवल तीन आतंकी ही शामिल थे।
ऑपरेशन महादेव के बाद पहली आधिकारिक पुष्टि
एनआईए ने बताया कि मौके से बरामद कारतूस और एनकाउंटर के बाद मारे गए आतंकियों से मिले कारतूस एक जैसे थे। यह ऑपरेशन महादेव के बाद एजेंसी का पहला आधिकारिक बयान है। गृह मंत्री पहले ही संसद को बता चुके हैं कि इस ऑपरेशन में तीन आतंकियों को ढेर किया गया था।
बैसरन घाटी ही क्यों बनी निशाना?
जांच में सामने आया कि हमलावरों ने बैसरन घाटी को जानबूझकर चुना क्योंकि यह इलाका सुनसान था, पुलिस की उपस्थिति बेहद कम थी और यहां पर्यटकों की संख्या हमेशा ज्यादा रहती है। हमले से पहले आतंकियों ने घाटी की रेकी भी की थी। इतना ही नहीं, उन्होंने भोजन और ठिकाने के बदले दो ओवरग्राउंड वर्करों (OGWs) को 3,000 रुपये तक दिए थे। एनआईए जल्द ही इन दोनों ओजीडब्ल्यू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है।
पाकिस्तान की भूमिका पर पक्के सबूत
एनआईए की रिपोर्ट से एक बार फिर पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता उजागर हो गई है। एजेंसी का कहना है कि हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान से रची गई थी और इसे अंजाम देने वाले सभी आतंकी वहीं से आए थे।
मालेगांव ब्लास्ट केस पर एनआईए की तैयारी
इसी बीच एनआईए अधिकारी ने मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने बताया कि फैसले को एक महीना हो चुका है, लेकिन एजेंसी अब तक यह तय नहीं कर पाई है कि आगे अपील करनी है या नहीं। फिलहाल एजेंसी फैसले की कॉपी का अध्ययन कर रही है और कानूनी राय लेने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।
एनआईए अधिकारी के मुताबिक, रिपोर्ट पहले चीफ इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (CIO) को जाती है, फिर ब्रांच स्तर पर कानूनी सलाह ली जाती है और उसके बाद ही निर्णय लिया जाता है। रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा 30 दिन की होती है, लेकिन इसे बढ़ाकर 90 दिन तक किया जा सकता है।