KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सोशल मीडिया पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए एक नई सोशल मीडिया पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इस पॉलिसी के तहत सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट और भड़काऊ सामग्री पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा शामिल हो सकती है। इसके साथ ही, नई पॉलिसी के तहत डिजिटल एजेंसियों और फर्मों को सोशल मीडिया पर विज्ञापन करने के नए अवसर भी प्रदान किए जाएंगे।
नई पॉलिसी का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु
यूपी सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया पर फैल रही नफरत और झूठी खबरों को रोकना है। सरकार का कहना है कि कुछ लोग सोशल मीडिया का गलत उपयोग करके देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल रहे हैं। इस पॉलिसी के तहत निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है:
देशविरोधी पोस्ट- जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर देशविरोधी सामग्री पोस्ट करेगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नफरत फैलाने वाले पोस्ट- धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी।
झूठी खबरें- सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
सजा- इस पॉलिसी का उल्लंघन करने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
एजेंसियों और फर्मों के लिए विज्ञापन के नए अवसर
नई पॉलिसी के तहत, अगर किसी डिजिटल एजेंसी या फर्म के सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में सब्सक्राइबर और फॉलोअर्स हैं और वे सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों पर विज्ञापन पोस्ट करते हैं, तो उन्हें विज्ञापन से पैसे कमाने का अच्छा मौका मिलेगा। इसके लिए सब्सक्राइबर और फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर विभिन्न भुगतान मानदंड निर्धारित किए गए हैं-
5 लाख फॉलोअर्स- 30,000 रुपये प्रति महीना
4 लाख फॉलोअर्स- 20,000 रुपये प्रति महीना
3 लाख फॉलोअर्स- 15,000 रुपये प्रति महीना
30 हजार फॉलोअर्स- 10,000 रुपये प्रति महीना
यूट्यूब वीडियो शॉट्स और पॉडकास्ट के लिए भी भुगतान मानदंड निम्नलिखित हैं:
8 लाख रुपये- सबसे बड़े चैनल
7 लाख रुपये- बड़े चैनल
6 लाख रुपये- मध्यम चैनल
4 लाख रुपये- छोटे चैनल
पॉलिसी पर प्रतिक्रियाएं
नई सोशल मीडिया पॉलिसी को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह पॉलिसी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है और इससे सोशल मीडिया पर फैल रही नफरत और झूठ को नियंत्रित किया जा सकेगा। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह पॉलिसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाती है और इससे नागरिकों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। आलोचकों का कहना है कि पॉलिसी के सख्त नियमों से राजनीतिक और सामाजिक आलोचना को दबाने का प्रयास हो सकता है।
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