KNEWS DESK- केंद्र सरकार ने नए लेबर कोड की घोषणा कर दी है, जिसे लेकर माना जा रहा है कि यह 1 अप्रैल से लागू हो सकता है। नए कानून में कर्मचारियों के हित से जुड़े कई अहम प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनका सीधा फायदा लाखों कामकाजी लोगों को मिलेगा। ग्रेच्युटी से लेकर न्यूनतम वेतन और महिला कर्मचारियों की सुरक्षा तक, कई नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं।
नए लेबर कोड के तहत कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए ग्रेच्युटी से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है। अब ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल तक नौकरी करने की अनिवार्यता नहीं होगी। एक साल की सेवा पूरी करने पर भी ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। यह बदलाव खासतौर पर निजी क्षेत्र और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है।
नए लेबर कोड में न्यूनतम वेतन को लेकर स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं, ताकि कर्मचारियों को उचित पारिश्रमिक मिल सके। इसके अलावा महिला कर्मचारियों की सुरक्षा, काम के घंटे और कार्यस्थल पर सुविधाओं को लेकर भी नियम सख्त किए गए हैं।
इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा 4 दिन के वर्क कल्चर को लेकर हो रही है। जापान, स्पेन और जर्मनी जैसे कई देशों में पहले से ही चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी का मॉडल अपनाया जा चुका है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में भी ऐसा संभव होगा?
लेबर मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक, नया लेबर कोड चार दिन के वर्किंग मॉडल की अनुमति देता है, बशर्ते कर्मचारी रोजाना 12 घंटे काम करें। इस व्यवस्था में हफ्ते के बाकी तीन दिन पेड हॉलिडे माने जाएंगे। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं होगा, बल्कि कंपनियों और कर्मचारियों की आपसी सहमति पर निर्भर करेगा।
सरकार ने 21 नवंबर को कुल 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार नए लेबर कोड लागू करने की घोषणा की थी। ये हैं—
- वेज कोड (Wage Code)
- इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
- सोशल सिक्योरिटी कोड
- ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड
इनका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और साथ ही व्यापार करने में आसानी बढ़ाना है।
नए लेबर कोड्स से औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के 4 करोड़ से अधिक श्रमिकों के प्रभावित होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से भारत के श्रम कानूनों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल सकता है।