डिजिटल डेस्क- नेपाल की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के महज तीन दिन बाद ही हालात बदल गए हैं। कार्की के नाम की पैरवी करने वाले जेनरेशन-ज़ेड (Gen-Z) के लोग अब उनके विरोध में उतर आए हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री आवास के बाहर जमकर प्रदर्शन हुआ, जिसका नेतृत्व ‘हम नेपाली’ एनजीओ के सुडान गुरुंग ने किया।
कार्की पर मनमानी के आरोप
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सुशीला कार्की प्रधानमंत्री बनने के बाद आंदोलन की मूल बातों को भूल गई हैं और मनमाने तरीके से फैसले ले रही हैं। उनका कहना है कि कार्की ने जो अंतरिम कैबिनेट बनाई है, उसमें Gen-Z की राय नहीं ली गई। सोमवार को कार्की ने तीन मंत्रियों की नियुक्ति की, जिनमें कुलमान घिसिंग (ऊर्जा और भौतिक विभाग), ओम प्रकाश आर्यल (गृह और कानून विभाग), रामेश्वर खनाल (वित्त विभाग) हैं। सुडान गुरुंग का आरोप है कि ओम प्रकाश आर्यल को प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था और उन्हें बालेंद्र साह के दबाव में गृह मंत्री बनाया गया है। आर्यल पहले साह के कानूनी सलाहकार भी रह चुके हैं।
6 महीने में आम चुनाव
इससे पहले केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग कर दी और जेनरेशन-ज़ेड की सिफारिश पर सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया। राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक अगले 6 महीने के भीतर आम चुनाव कराए जाएंगे। कार्की का काम मुख्य रूप से निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना है। चुनाव संपन्न होने के बाद नई सरकार बनने पर कार्की सत्ता नए चुने हुए नेता को सौंप देंगी।