नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस: कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान का फैसला टाला, अब 16 दिसंबर को सुनाया जाएगा आदेश

डिजिटल डेस्क- दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को टाल दिया है। कोर्ट अब इस मामले में अपना फैसला 16 दिसंबर को सुनाएगी। इस हाई-प्रोफाइल केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे सहित कई अन्य को PMLA के तहत आरोपी बनाया गया है। यह मामला मूल रूप से क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट और चीटिंग के आरोपों से शुरू हुआ था, जो बाद में मनी लॉन्ड्रिंग में तब्दील हुआ। ये विवाद 1938 में शुरू हुए ऐतिहासिक अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़ा है, जिसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) संचालित करती है। AJL को नेहरू-युग की विरासत माना जाता है, जिसका राजनीतिक और ऐतिहासिक महत्व काफी बड़ा है।

ED का आरोप—AJL की 2000 करोड़ की संपत्ति 50 लाख में हड़पी गई

ED का दावा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने कथित रूप से धोखाधड़ी के जरिए AJL की लगभग 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को महज 50 लाख रुपये में अपने कब्जे में ले लिया। एजेंसी ने अप्रैल 2025 में इस मामले में विस्तृत चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फर्जी लेन-देन, झूठे एडवांस रेंट पेमेंट और नकली किराया रसीदों के जरिए वर्षों तक पैसों का प्रवाह गलत तरीके से दर्शाया गया। एजेंसी के अनुसार, यह पूरा सेटअप धन के स्रोत को छिपाने और उसे दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए तैयार किया गया था। ED का कहना है कि यह सीधे-सीधे मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधि के दायरे में आता है।

कोर्ट का अगला कदम—संज्ञान लिया तो आरोप तय होंगे

अब 16 दिसंबर को यह स्पष्ट होगा कि कोर्ट ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेती है या नहीं। यदि कोर्ट संज्ञान लेती है, तो मामले में आरोप तय किए जाएंगे और ट्रायल आगे बढ़ेगा। यदि संज्ञान नहीं लिया, तो यह केस बंद हो सकता है। यह मामला पिछले एक दशक से अधिक समय से न्यायालयों में चल रहा है और कई बार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। 2026 में कई राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए यह केस राजनीतिक दृष्टि से और भी गर्मा गया है। कांग्रेस ने एक बार फिर सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह मामला राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत उठाया गया है और इसमें कोई आर्थिक अनियमितता नहीं हुई।

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