नेशनल हेराल्ड केस: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया-राहुल गांधी को भेजा नोटिस, 12 मार्च को अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क- नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बड़ी राहत मिलती दिख रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। जस्टिस रविन्द्र डुडेजा की बेंच ने यह नोटिस ईडी की उस याचिका पर जारी किया है, जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। दरअसल, ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ईडी ने दलील दी कि अगर इस आदेश को बरकरार रखा गया, तो यह मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) से जुड़े मामलों में एक गलत नजीर बन जाएगी।

ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने रखी दलीलें

ईडी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने हाई कोर्ट में जोरदार दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि यदि ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष को मान लिया गया, तो भविष्य में ईडी की जांच की प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ेगा। SG ने कहा कि अगर किसी निजी शिकायत पर कोर्ट संज्ञान लेती है, तो भी ईडी जांच नहीं कर पाएगी—ऐसी व्याख्या कानून की मंशा के खिलाफ है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह मामला IPC की धारा 420 से जुड़ा है, जो PMLA के तहत एक शेड्यूल्ड ऑफेंस है। SG के मुताबिक, इस केस की शुरुआत एक निजी शिकायत से हुई थी, जिसे सक्षम अदालत ने जांच के बाद संज्ञान में लिया था। उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी गई, लेकिन शीर्ष अदालत ने संज्ञान लेने के आदेश को बरकरार रखा।

‘50 लाख में 2000 करोड़ की संपत्ति’ का दावा

सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने मामले के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि अंततः आरोपियों को महज 50 लाख रुपये के बदले करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल हुई। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह मामला केवल तकनीकी नहीं, बल्कि गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच बेहद जरूरी है। गांधी परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए और ईडी की याचिका का विरोध किया।

कोर्ट के सवाल और अहम टिप्पणियां

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अहम सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या ऐसा कोई और मामला है, जहां निजी शिकायत और उस पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया हो। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या यह पहला ऐसा मामला हो सकता है। इस पर SG ने कहा कि PMLA में अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया को लेकर कोई तय प्रारूप नहीं है। कानून के मुताबिक, जरूरी यह है कि कोई आपराधिक गतिविधि हो और उसका संबंध किसी शेड्यूल्ड अपराध से हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि FIR की तुलना में आपराधिक शिकायत ज्यादा अहम हो सकती है और इसी आधार पर जांच की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि क्या मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता और गवाहों की जांच के बाद संज्ञान लिया था। SG ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया।

12 मार्च को होगी अगली सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद अब इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई 12 मार्च को होगी। यह केस न सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व के लिए अहम है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत ईडी की शक्तियों और प्रक्रियाओं को लेकर भी एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल बन सकता है।

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