22 दिन में 8000 से अधिक सवाल…ऐसा रहा राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र, यहां पढ़ें हर अपडेट

KNEWS DESK- राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र इस बार खासा हंगामेदार रहा, जिसकी तस्वीरें और खबरें लगातार मीडिया में छाई रही। विपक्ष के विधायकों के हंगामे और प्रदर्शन की वजह से सत्र में कई असाधारण घटनाएं हुईं, जिनमें रातभर सदन में ही बिताने की स्थिति भी शामिल थी। इसके बावजूद, इस सत्र में कई महत्वपूर्ण चर्चाएं और घोषणाएं भी की गईं।

सत्र की प्रमुख विशेषताएँ

राजस्थान की 16वीं विधानसभा का यह दूसरा सत्र 22 दिनों तक चला, जिसमें कुल 175 घंटे की कार्यवाही हुई। इस दौरान विधायकों ने 8,088 प्रश्न प्रस्तुत किए, जिनमें से 426 प्रश्न चर्चा के लिए सूचीबद्ध थे। सत्र की कार्यवाही 2 अगस्त को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।

बजट और अनुदान मांगों पर चर्चा

सत्र के दौरान विभिन्न विभागों के लिए 64 अनुदान मांगों में से 19 पर आठ दिनों में चर्चा की गई, जो एक ही सत्र में संबोधित अनुदान मांगों की सबसे बड़ी संख्या है। उल्लेखनीय है कि वर्षों में पहली बार गृह और शिक्षा विभागों के अनुदान मांगों को इस सत्र में नहीं उठाया गया।

स्पीकर वासुदेव देवनानी का बयान

स्पीकर वासुदेव देवनानी ने बताया कि बहाल स्लिप सिस्टम के तहत विधायकों से 808 सब्मिशन प्राप्त हुईं, जिनमें से 71 को एक रैंडम ड्रा के माध्यम से चुना गया। इस प्रणाली के माध्यम से विधायकों को सदन में अपनी चिंताओं को प्रस्तुत करने का अवसर मिला। देवनानी ने यह भी कहा कि यह सिस्टम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से प्रति दिन चार पर्चियों को जमा करने का समर्थन करती है।

प्रश्नों का उत्तर और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

विधानसभा में उठाए गए 92% प्रश्नों का उत्तर दिया गया और इन उत्तरों को विधानसभा के पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि जनता को विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब मिल सके और पारदर्शिता बनी रहे।

विपक्ष का प्रदर्शन

सत्र के दौरान विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा किया, जिसके चलते सदन में रात बिताने की स्थिति भी उत्पन्न हुई। विपक्ष का यह प्रदर्शन बजट और अनुदान मांगों पर विचार विमर्श में बाधा डालने का प्रयास था, हालांकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी जारी रही।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा का यह मानसून सत्र कई दृष्टियों से उल्लेखनीय रहा। जहां एक ओर विपक्ष के हंगामे और प्रदर्शन ने सत्र की कार्यवाही को प्रभावित किया, वहीं दूसरी ओर बजट पर गंभीर चर्चा और विधायकों की सक्रियता ने महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। स्पीकर वासुदेव देवनानी द्वारा उठाए गए कदम और प्रश्नों के उत्तर की उपलब्धता से यह स्पष्ट होता है कि विधानसभा में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं।

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