डिजिटल डेस्क- दुनिया एक बार फिर टैरिफ वॉर की ओर बढ़ती दिख रही है। अमेरिका द्वारा कई देशों पर भारी टैरिफ बढ़ोतरी के बाद अब मैक्सिको ने भी इसी राह पर चलते हुए बड़ा कदम उठा लिया है। मैक्सिको की सीनेट ने चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख एशियाई देशों से आयात होने वाले सामान पर 50% तक हाई टैरिफ लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह नया टैरिफ 2026 से लागू होगा, जिससे इन देशों के व्यापार और निर्यात पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। सीनेट में पास किए गए विधेयक के अनुसार, मैक्सिको लगभग 1,400 प्रकार के आयातित सामानों पर शुल्क बढ़ाने जा रहा है। इनमें ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, स्टील, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रमुख श्रेणियां शामिल हैं। कई उत्पादों पर टैरिफ 35% तक भी तय किया गया है। टैरिफ बढ़ाने वाले प्रस्ताव के पक्ष में 76 वोट पड़े, जबकि विरोध में केवल 5 वोट आए। 35 सदस्य अनुपस्थित रहे, जिसके बावजूद प्रस्ताव आसानी से पारित हो गया।
मैक्सिको ने टैरिफ क्यों बढ़ाया?
मैक्सिको सरकार के अनुसार, यह निर्णय उसके स्थानीय उद्योगों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। अमेरिकी नीति की तर्ज पर मैक्सिको भी चाहता है कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले और विदेशी आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम हो। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम के पीछे राजनीतिक और आर्थिक दोनों कारण मौजूद हैं। विश्लेषकों और व्यापार समूहों के मुताबिक, मैक्सिको का यह कदम अमेरिका को संतुष्ट करने की रणनीति भी हो सकता है। रिपोर्ट बताती है कि मैक्सिको इस टैरिफ बढ़ोतरी से अगले वर्ष लगभग 3.76 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व जुटाने की योजना बना रहा है, ताकि वह अपने बढ़ते राजकोषीय घाटे को नियंत्रित कर सके। वहीं व्यापारिक संगठनों ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि इससे आयात महंगा होगा और स्थानीय बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं।
भारत पर क्या होगा प्रभाव?
भारत उन देशों में शामिल है जिन पर इस टैरिफ बढ़ोतरी का सीधा असर पड़ेगा। हालांकि भारत और मैक्सिको के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। 2022 में दोनों देशों का कुल व्यापार 11.4 अरब डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 11.7 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारत का मैक्सिको के साथ व्यापार सरप्लस भी काफी अधिक है। 2024 में भारत ने 8.9 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि आयात सिर्फ 2.8 अरब डॉलर रहा। टैरिफ बढ़ने के बाद ऑटो पार्ट्स, स्टील, दवाइयों, मशीनरी और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है, जो भारत के प्रमुख निर्यात उत्पाद हैं।