KNEWS DESK- दिल्ली के महापौर और उपमहापौर पद के चुनाव को लेकर 16 नवम्बर, 2024 को मतदान होने जा रहा है। एमसीडी (म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली) में आम आदमी पार्टी (आप) के पास बहुमत होने के कारण वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। हालांकि, भाजपा भी हार मानने को तैयार नहीं है और चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने को लेकर उत्साहित है।
इस बार चुनाव में कुल 273 सदस्य मतदान करेंगे, जिनमें 249 चुने हुए पार्षद, 14 मनोनीत विधायक और दिल्ली से चुने गए लोकसभा और राज्यसभा के 10 सांसद शामिल होंगे। चुनावी गणित के अनुसार, आम आदमी पार्टी के पास 143 वोट हैं, जबकि भाजपा के पास 122 वोट हैं और कांग्रेस के पास सिर्फ आठ वोट हैं। मेयर पद पर जीत के लिए किसी भी पार्टी को 137 वोटों की आवश्यकता होगी, लेकिन अगर कांग्रेस मतदान में हिस्सा नहीं लेती, तो जीत के लिए केवल 133 वोटों की जरूरत पड़ेगी।
आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी, लेकिन सतर्कता जरूरी
आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत नजर आ रही है, क्योंकि उसके पास पर्याप्त संख्या बल है। पार्टी ने 2022 में एमसीडी चुनाव में बहुमत हासिल किया था, और इसके बाद से वह मेयर और डिप्टी मेयर पद पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हालांकि, पार्टी को कुछ अप्रत्याशित घटनाओं का डर सता रहा है। एमसीडी के वार्ड समितियों के चुनाव में कुछ पार्टी पार्षदों ने भाजपा उम्मीदवारों को वोट दिया था, जिससे पार्टी को क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा था।
इस बार भी, आप के कुछ सदस्य, खासकर राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल, पार्टी से नाराज चल रही हैं और उन्होंने कई बार आप और दिल्ली सरकार के खिलाफ बयान दिए हैं। उनकी नाराजगी के कारण उनकी ओर से पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देने की संभावना कम नजर आ रही है। अगर स्वाति मालीवाल और अन्य नाराज सदस्य क्रॉस वोट करते हैं, तो पार्टी के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
भाजपा की रणनीति और उम्मीदें
भाजपा, जो पिछले 15 वर्षों से एमसीडी में काबिज रही है, इस चुनाव में अपनी राजनीतिक उपस्थिति बनाए रखने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है। भाजपा को उम्मीद है कि आप के कुछ पार्षद चुनाव में क्रॉस वोटिंग करेंगे, जैसा कि पिछले कुछ महीनों में वार्ड समितियों के चुनाव में हुआ था। पार्टी नेताओं को विश्वास है कि ऐसे अप्रत्याशित समीकरणों के चलते आप की जीत मुश्किल हो सकती है, और भाजपा की ओर से कुछ भी हो सकता है।
भाजपा के नेता इस उम्मीद में हैं कि अगर आप के 11 से ज्यादा सदस्य क्रॉस वोट करते हैं, तो भाजपा को अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है और वह किसी तरह से चुनाव जीत सकती है। भाजपा की तरफ से कहा जा रहा है कि यह चुनाव दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी बेहद अहम साबित हो सकता है, और पार्टी इस चुनाव में हर रणनीति का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस का भूमिका
कांग्रेस, जो एमसीडी चुनाव में अपनी उपस्थिति से कोई खास असर नहीं छोड़ पाई है, के पास सिर्फ आठ वोट हैं। कांग्रेस की चुनावी गतिविधियां अब तक कम रही हैं और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने लगातार आम आदमी पार्टी पर हमले किए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है कि वह चुनाव में हिस्सा लेगी या नहीं। पिछले महीने कांग्रेस ने स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव में भी भाग नहीं लिया था, जिससे इसकी चुनावी रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं।
चुनाव में कांग्रेस की भूमिका निर्णायक नहीं दिख रही है, और पार्टी के वोटों का कोई खास असर होने की संभावना कम ही है। इसके बावजूद, कांग्रेस के द्वारा मतदान में हिस्सा न लेने से आम आदमी पार्टी के लिए 137 वोटों का आंकड़ा और भी सुलभ हो सकता है, जबकि भाजपा के लिए यह संख्या थोड़ा कठिन हो सकती है।
नतीजा क्या होगा?
एमसीडी मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, लेकिन भाजपा की उम्मीदें अभी भी बनी हुई हैं। पार्टी के लिए यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने का अहम मौका है, और वह हर मुमकिन प्रयास करेगी कि आप को मात दी जा सके। कांग्रेस की स्थिति फिलहाल कमजोर नजर आ रही है, और उसके वोट चुनाव में कोई बड़ा बदलाव लाने की संभावना कम ही दिखती है।
अब देखना यह होगा कि 16 नवम्बर को होने वाले मतदान में क्या कोई अप्रत्याशित मोड़ आता है, या फिर आम आदमी पार्टी अपने बहुमत को कायम रखते हुए मेयर और डिप्टी मेयर पद पर काबिज हो पाती है।
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