KNEWS DESK – बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके लिए सत्ता से अधिक महत्व जनता का है। बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर 6 दिसंबर को नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर होने वाली उनकी विशाल जनसभा को एकदम अचानक रद्द कर दिया गया। लाखों की भीड़ जुटने की उम्मीद थी, बसें बुक हो चुकी थीं और कार्यकर्ता छुट्टियां लेकर तैयार बैठे थे—लेकिन मायावती ने रैली से पीछे हटते हुए कहा कि वह अपने लोगों को कष्ट नहीं दे सकतीं।
VIP सुरक्षा से होती है आम जनता को परेशानी: मायावती
पूर्व सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए स्पष्ट लिखा कि उनकी उपस्थिति के दौरान VIP सुरक्षा के नाम पर इतने बड़े स्तर के सरकारी इंतज़ाम किए जाते हैं कि आम लोगों, खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भारी असुविधा झेलनी पड़ती है। उन्होंने लिखा, “मेरी वजह से मेरे अपने लोगों को तकलीफ़ हो, घंटों इंतजार करना पड़े, धक्का-मुक्की हो… यह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती।”
मायावती ने कहा कि वह बाबासाहेब को अपने लखनऊ आवास पर व्यक्तिगत तौर पर श्रद्धांजलि देंगी और कार्यकर्ताओं से भी अपील की कि वे बिना राजनीतिक प्रदर्शन के शांतिपूर्वक श्रद्धासुमन अर्पित करें।
रैली रद्द होने की खबर मिलते ही पहली प्रतिक्रिया निराशा की रही। नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़ और पश्चिमी यूपी के कई जिलों से बसें पहले ही निकलने को तैयार थीं। लेकिन कुछ ही घंटों में माहौल बदल गया। BSP के व्हाट्सऐप ग्रुपों और सोशल मीडिया पर संदेश वायरल होने लगे, “बहन जी ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ नेता नहीं, सच्ची बड़ी बहन हैं। जनता को हमेशा खुद से ऊपर रखा।”
2019 की कड़वी यादें फिर ताज़ा
मायावती ने अपने बयान में 2019 की घटना भी याद दिलाई, जब दिल्ली के रामलीला मैदान में उनकी रैली के दौरान सुरक्षा इंतज़ाम इतने भारी थे कि हजारों लोग गेट पर ही फंस गए थे। कई महिलाएं और बच्चे बेहोश हो गए थे।उसी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, “मेरी वजह से अगर एक भी बहुजन को दिक्कत हो, तो मैं रैली करने से बेहतर घर पर रहूंगी।”
रैली रद्द होने के बावजूद राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर कार्यकर्ता स्वयं पहुंचकर बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देंगे।
इसके अलावा पूरे यूपी में जिलों में शांतिपूर्ण छोटे कार्यक्रम आयोजित होंगे।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा—मायावती का ‘मास्टरस्ट्रोक’
विश्लेषकों का मानना है कि मायावती ने इस कदम से कई संदेश एक साथ दिए—
- जनता के हित को प्राथमिकता
- VIP संस्कृति से दूरी
- विपक्ष को आलोचना का मौका नहीं
- भावनात्मक रूप से कार्यकर्ताओं से जुड़ाव
6 दिसंबर को नोएडा की सड़कों पर BSP की नीली पताकाएं जरूर दिखेंगी, लेकिन वह चेहरा यानी मायावती नहीं दिखाई देंगी, जिसे देखने के लिए लाखों कार्यकर्ता इंतजार कर रहे थे।